टाइटैनिक जहाज एक ऐसा मुद्दा है जिसके विषय में पूरी दुनिया को पता है। टाइटैनिक जहाज के डूबने के पीछे बहुत सारे कारण बताए जाते हैं। कोई कहता है की टाइटैनिक जहाज पर एक जर्मन पनडुब्बी ने हमला कर दिया था जिसके कारण पनडुब्बी डूब गई ।कई लोग यह कहते हैं कि पनडुब्बी पर एक शापित मम्मी रखी गई थी। जिसके कारण पनडुब्बी डूब गई।
असलियत तो यह है कि पनडुब्बी जाकर एक हिमशिला से टकरा गई थी जिसके कारण टाइटैनिक के दो टुकड़े हो गए और वह पानी में डूब गई। जहाज पर कुल मिलाकर 2200 लोग सवार थे जिसमें से 1500 लोगों की मौत हो गई और 700 लोग ही लाइफबोट के सहारे बच पाए। यह घटना बड़ी-बड़ी समुद्री आपदाओं में से एक थी। सन् 1912 में जहाज जब हेमशिला से टकराया तो दो टुकड़ों में बंट गया जिसके बाद वह अटलांटिक महासागर में डूब गया।
टाइटैनिक का मलवा अटलांटिक महासागर में काफी गहराई के अंदर है। वर्तमान में टाइटैनिक का मलवा न्यूफाउंडलैंड के तट से लगभग 370 समुद्री मील (690 किलोमीटर) दक्षिण – दक्षिण पूर्व में लगभग 12,500 फीट (3,800 मीटर) की गहराई पर स्थित है। टाइटैनिक जहाज दो टुकड़ों में लगभग 2000 फीट (600 मीटर) की दूरी पर स्थित है।
प्रेशर चेंबर पनडुब्बी की ऐसी जगह थी जो पनडुब्बी के अंदर ऑक्सीजन की मात्रा को संतुलित करती थी और कार्बन डाइऑक्साइड को सोंखती थी। जांच से यह पता चलता है प्रेशर चेंबर के अंदर प्रेशर अधिक होने के कारण विस्फोट हो गया। समान्यतः तल पर विस्फोट होता है तो अंदर से बाहर की तरफ होता है परंतु जब विस्फोट पानी के अंदर होता है तो बाहर से अंदर की तरफ होता है और यही टाइटन पनडु्बी के साथ भी हुआ। जिसके कारण पनडुब्बी में बैठे पांचों अरबपतियों की मौत हो गई जो टाइटन के अंदर बैठकर टाइटैनिक के मलबे को प्रत्यक्ष रूप से देखने के लिए गए थे। 1912 में डूबे टाइटैनिक जहाज के मलबे को देखने के लिए गए थे। 75 सालों मेें अब तक कई पनडुब्बियों ने टाइटैनिक के मलवे को देखने के लिए यात्रा कर चुकी है। टाइटन पनडुब्बी ओसियन गेट के स्वामित्व के अंतर्गत आता है। एक रिपोर्ट के अनुसार यह पता चलता है कि टाइटन पनडुब्बी ही एक ऐसा उत्पाद था जो नियामक संस्थान द्वारा प्रमाणित नहीं किया गया था। ओशन गेट के कुछ उद्योग एक्सपोर्ट्स और एक वरिष्ठ कर्मचारी द्वारा सचेत किया गया था कि टाइटेनिक असुरक्षित साबित हो सकती है लेकिन किसी ने नहीं मानी। 3700 मीटर की गहराई तक टाइटैनिक के मलबे की टाइटन की यात्रा सबसे लोकप्रिय और खतरनाक यात्राओं में से एक थी। टाइटैनिक के डूबने के 75 साल बाद मिले टाइटैनिक के मलबे को अब तक 250 से भी कम लोगों ने प्रत्यक्ष रूप से देखा है।जिस तरह टाइटैनिक जहाज अपनी प्रथम यात्रा पर निकला और वह गायब हो गया था और 4 दिन बाद यह पता लगता है कि वह डूब गया था। ठीक उसी तरह टाइटन पनडुब्बी के साथ भी ऐसा ही हुआ जब टाइटन पनडुब्बी टाइटैनिक यात्रा के लिए रवाना हुई तो वह डेढ़ घंटे के अंदर ही अपना संपर्क को तोड़ चुकी थी और 4 दिन बाद यह पता लगता है कि टाइटैनिक को देखने गई यह पनडुब्बी का विस्फोट हो चुका है जिसके अंदर उपस्थित पांच अरबपतियों की मौत हो चुकी है। इसी तरह एक बार फिर टाइटैनिक अभिशाप साबित हुआ पूरी दुनिया ने इस विस्फोट में दुनिया की 5 अरबपतियों को खो दिया।