Saturday, November 30, 2024
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जानिए नया संसद भवन कैसा है

भारतीय संसद भारत के गणराज्य का सर्वोच्च विधाई निकाय माना जाता है। यह सदन हमारे भारत के राष्ट्रपति और दो सदनों राज्यसभा और लोकसभा को मिलाकर बनता है। हालही में हमारे देश का एक नया संसद भवन बनकर तैयार हुआ है। नए संसद भवन को लेकर आपके मन में कई सारे प्रश्न होंगे की आखिर हमे नए संसद भवन की आवश्यकता क्यों पड़ी, इसके निर्माण कार्य में कितनी लगता आई होगी , नए संसद भवन के बनने के बाद अब पूरे संसद भवन का क्या होगा, नए संसद में क्या खासियत है या और भी कई सवाल आपके मन में उठ रहे होगें। यहां पर आप इन्हीं सब प्रश्नों के विषय में जानेंगे। 

 

पहले यहां हम पुराने संसद भवन पर कुछ चर्चा करेंगे की इसका निर्माण कब हुआ था ,किसने करवाया था, इसके निर्माण कार्य में कितनी लागत आई थी ,आदि। हमारे पुराने संसद भवन का निर्माण कार्य 12 मई 1921 में शुरू हुआ था। इसका निर्माण कार्य 6 वर्षों तक चला था। 6 साल बाद 1927 में हमारा पहला संसद भवन बनकर तैयार हुआ था। इसका उद्घाटन कार्य 18 जनवरी 1927 को उस समय के गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन के द्वारा हुआ था। उस समय में पुराने संसद भवन को बनाने की लागत 83 लाख रुपए आई थी। संसद भवन 24,281,16 वर्ग मीटर में फैला हुआ है।इसका आकार गोल है।

इसका निर्माण भारत के चौसठ योगिनी मंदिर की आकृति से प्रेरित होकर बनाया गया था। इसकी सरंचना का डिजाइन  ब्रिटिश आर्किटेक्ट  एडविन लूटियन और सर हरबर्ट बेकर द्वारा 1912-13 में तैयार की गई थी।इसकी शिलान्यास रखने का कार्य प्रिंस ऑर्थर ड्यूक ऑफ कनॉट और स्ट्रैथर्न ने की थी। इसका

अध्यक्ष राष्ट्रपति होता है और इसके लोकसभा में कुल 545 व्यक्ति होते है जो आम जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं और राज्यसभा में कुल 246 लोग होते हैं जो आम जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रुप से चुने जाते हैं। 
   आखिर हमे नए संसद भवन की आवश्यकता क्यों पड़ी। सरकार का कहना है की हमे नए संसद भवन की जरूरत पुराने संसद भवन के बहुत सारे चिंताजनक  विषय के कारण पड़ी। पुराना संसद भवन दोनो सदनों के संयुक्त रूप  को समझ रखकर नहीं बनाया था और वर्तमान में सदनों के सांसदों की संख्या मे वृद्धि  होने की संभावना अधिक है।

एक कारण पुराने संसद की संरचना है जिससे वर्तमान में जल की कमी, सीवर लाइन एयरकंडिसनिंग, अग्निशमंक उपकरण, सीसीटीवी कैमरा आदि सुविधा के जुड़ने से कई स्थानों पर जल का रिसाव हो रहा है जिसे संसद भवन की सुंदरता में कमी आई है।जिसमे से अग्निशामक सुरक्षा सबसे ज्यादा चिंता का विषय था। पुराने संसद का निर्माण तब हुआ था जब दिल्ली भूकम्पीय जोन-lI में था। परंतु अब दिल्ली भूकम्पीय जोन-v में आ चुका है जो संरचनात्मक सुरक्षा  के लिए चिंता का बहुत बड़ा विषय है। कार्य क्षेत्र की कमी भी एक कारण है, कुछ बदलाव करके आंतरिक गलियारों को कार्यालयों मे बदल दिया गया। जिसके कारण जगहें पहले से कम हो गई है जिसके कारण कर्मचारियों के कार्य क्षेत्र पूरा नहीं हो पा रहा है।

  नए संसद भवन की आधारशिला हमारे प्रधान मंत्री के द्वारा कोविड काल में 10 दिसंबर 2020 में  रखी गई थी। नए संसद भवन के निर्माण में लगभग 970 करोड़ की लागत आई है। नया संसद भवन सभी प्रकार के आधुनिक सुविधाओं से भरा हुआ है। इसमें अब 1200 सांसदो के बैठने की व्यवस्था बनाई गई है। संसद में इस बार लोकसभा को हमारे राष्ट्रीय पक्षी मोर का मयूर डिजाइन दिया गया है और राज्य सभा को  हमारे राष्ट्रीय पुष्प कमल का डिजाइन दिया गया है। इस संसद भवन में 1272 सदस्यों के एक साथ बैठने की व्यवस्था की गई है ।

नए संसद भवन में लोक सभा में 888 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गाई है और राज्य सभा में 384 सांसदों के बैठने की व्यवस्था बनाई गई है।

नए संसद भवन को आधुनिक उपकरणों से परिपूर्ण करके पेपर लेस बनाया है। इसमें अल्ट्रा मॉडर्न ऑफिस स्पेस की व्यवस्था भी की गई है। नया संसद भवन त्रिभुजाकार और 4 मंजिला बनाया गया है। यह 64,500 वर्ग मीटर तक फैला हुआ है। इसकी यह संरचना कम क्षेत्र के  कुशलतम प्रयोग को दिखाता है।

      नए संसद भवन को लेकर विवाद भी चल रहे है। इसको लेकर 19 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय विपक्षी दलों द्वारा  एक संयुक्त बयान में कहा गया है की मोदी का स्वयं से संसद भवन के उद्घाटन का निर्णय लेना ना केवल गंभीर अपमान है साथ ही यह लोकतंत्र पर सीधा हमला भी है। जो एक समान प्रतिक्रिया की मांग करता है।
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