हमारे देश को पूरी दुनिया में “अनेकता में एकता” की संज्ञा मिली हुई है। हमारे देश के हर कोने की मिट्टी अपनी अलग – अलग कहानी बताती है, हमार देश में अलग -अलग धर्म और जाति के लोग रहते हैं , अलग – अलग भाषा बोलने वाले लोग रहते है। इतनी सारी भिन्नताओं के साथ भी हमारा भारत एक धागे में बंधा हुआ है। इसी तरह से हमारे देश को पूरी दुनिया में प्रदर्शन करने वाले कुछ चिन्ह, प्रतीक और बहुत से चीजों को राष्ट्रीय दर्जा मिला हुआ है। यहां आप उन्हीं में से कुछ की जानकारी प्राप्त करेंगे
हम सब को यह तो पता है की हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग होते हैं और मध्य में एक चक्र होता है। क्या आपको हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात पता है? हमारे राष्ट्रीय ध्वज के तिरंगे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में सबसे ऊपर आता है गहरा केसरिया रंग, मध्य में सफ़ेद रंग चक्र के साथ,और सबसे नीचे आता है हरा रंग। केसरिया रंग हमार देश के ताकत और साहस का प्रतीक है, मध्य में सफेद रंग चक्र के साथ शांति और सत्य का प्रतीक है, और सबसे नीचे का रंग हरा रंग हमारे देश के शुभ, विकास और उपजाऊपन का प्रदर्शन करता है। हमारे ध्वज में बना चक्र हमारे देश के उत्तर प्रदेश में स्थित सारनाथ के अशोक का सिंहचतुर्मुख स्तंम्भशिर्ष पर बने चक्र से लिया गया है। इस चक्र का व्यास सफेद पट्टी के चौड़ाई के बराबर है।इस चक्र में कुल 24 तिल्लियां हैं। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का डिजाइन करने का कार्य श्री पिंगली वेंकैया जी ने किया था। तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज का दर्जा 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा में मिला था।
हमारे देश का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश के सारनाथ में स्थित अशोक के सिंह स्तंभ से लिया गया है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित रखा हुआ है। वास्तविक स्तंभ में चार सिंह एक दूसरे के पीठ की हुए हैं। जिसके नीचे घंटे के आकार के पदम पर के एक चित्र लता में एक हाथी है, छलांग लगाता हुआ घोड़ा , सांड और सिंह की तराशी हुई मूर्तियां हैं तथा इन सब के मध्य में चक्र बने हुए हैं। एक ही शीला को काटकर बनाए गए स्तंभ पर धर्म चक्र रखा हुआ है। 26 जनवरी 1950 को भारतीय सरकार ने इसे राजचिन्ह का दर्जा दिया। राजचिन्ह की उभरी हुई नकाशी के चित्र में हमें तीन ही सिंह नजर आते हैं और सिंह के नीचे घोड़ा और सांड ही नजर आते है। इस चिन्ह के तल पर एक पदम लिखा गया है “सत्य मेव जयते” जो देवनागरी लिपि में लिखी गई है। इसका मतलब है हमेशा सत्य की ही जीत होगी।
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 22 मार्च 1957 से सामान्यतः 365 दिन होते हैं जो कुछ सरकारी कार्यक्रमों के लिए अपनाया गया है जैसे – भारत का राजपत्र, रेडियो का समाचार प्रसारण ,भारत सरकार द्वारा जारी कैलेंडर, लोक सदस्यों को संबोधित सरकारी सूचनाएं। राष्ट्रीय कैलेंडर और ग्रेगोरियन कैलेंडर की तिथियों से स्थाई रूप से लगभगग मेल खाती है। सामान्यतः 1चैत्र 22 मार्च का होता है और लीप वर्ष में 21मार्च का होता है।
हमारे देश में राष्ट्रीय नदी का दर्जा गंगा नदी को मिला है क्यूंकि यह नदी भारत की सबसे बड़ी नदी है जो की पर्वतों, घाटियों और मैदानों को मिलाकर कुल 2,510 किलोमीटर की दूरी तय करती है। यह नदी हिमालय के गंगोत्री नदी के ग्लेशियर में भागीरथी नदी के नाम से निकलती है। जैसे – जैसे यह आगे बढ़ती है इसमें बहुत सारी नदियां जुड़ती जाति हैं जैसे – अलकनंदा, यमुना, सोन, गोमती कोसी और घाघरा नदी। गंगा बेसिन विश्व के सबसे अधिक उपजाऊ क्षेत्रों में से एक है। जहां सबसे अधिक घनी आबादी निवास करती है। यह लगभग 10,00,000 वर्ग किलोमीटर तक फैली हुई है। इस नदी पर दो बांध बने हुए है एक हरिद्वार में और दूसरा फरक्का में। इस नदी में एक संकटापन्न जंतु पाया जाता है जिसे सुंस नाम से जाना जाता है जो खासकर इसी नदी में पाया जाता है। गंगा नदी को हिंदू धर्म में दुनिया की सबसे पवित्र नदी माना जाता है। हिंदू धर्म के अधिकतर धार्मिक आयोजन इसी नदी के किनारे आयोजित होते हैं जैसे – प्रयागराज, वाराणसी, हरिद्वार आदि। गंगा नदी अपना सबसे बड़ा और व्यापक रूप गंगा डेल्टा में बनाती है जो की बंगलदेश के सुंदर वन द्वीप में है। अंत में गंगा नदी अपनी यात्रा बंगाल की खड़ी में पहुंचकर पूरी करती है।
हमारे देश का यह वृक्ष ऐसा वृक्ष है जिसकी शाखाएं और ताने बहुत बड़े क्षेत्र में फैली रहती हैं और हमेशा एक नए वृक्ष के समान लगती है। जड़ो से और अधिक शाखाएं बनती है। इस वृक्ष की आयु अधिक लंबी होने के कारण अनश्वर मानी जाती है। इस वृक्ष का वैज्ञानिक नाम फाइकस वैंगालेंसिस है। इतना ही नही भारत की अधिकतर लोक कथाओं में इस वृक्ष की चर्चा हुई है जो लोक कथाओं का अविभाज्य अंग माना जाता है। आज भी ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग बरगद के वृक्ष के नीचे छांव में बैठना बहुत पसंद करते हैं। इसलिए इसे राष्ट्रीय वृक्ष का दर्जा मिला हुआ है।