Tuesday, December 3, 2024
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भारत के कुछ गुप्त खजाने जो आज तक नहीं खोजे जा सके हैं

भारत को अतीत में सोने की चिड़िया के नाम से पूरे दुनिया में जाना जाता था। ऐसा इसलिए है क्योंकि दुनिया में सबसे ज्यादा सोने और चांदी के आभूषण केवल भारत में ही बनाए जाते हैं।

यही नहीं भारत एक ऐसा देश है जहां दुनिया में से सबसे अधिक सोने और चांदी पाए जाते थे।  ऐसा कहा जाता है कि दुनिया का एक तिहाई सुना भारत की सभी महिलाओं के पास है। भारत की लगभग सभी महिलाएं सोने और चांदी के आभूषण जरूर पहनते हैं। अतीत के समय में राजा महाराजाओं की रानियां सोने और चांदी के आभूषण इतने ज्यादा थे की जिसके सामने आज के समय के सभी महिलाओं के आभूषण कुछ भी नहीं हैं। परंतु हमारे देश का बहुत सारा खजाना ऐसा है जो विदेशों द्वारा लूट लिया गया और कुछ जो आज तक लापता है। कहीं न कहीं हमारे देश के गरीब होने का कारण रहा है।

     पहला भारत का गुप्त खजाना ग्रॉसवेनर जहाज है।यह जहाज ईस्ट इंडिया कंपनी का सबसे बड़ा और सबसे महंगा जहाज था क्योंकि इसके अंदर 14 सोने की शैलियां थी।

इस जहाज में 9 से भी ज्यादा बक्से थे, जो सोने के गहनों से भरे हुए थे और 26,00,000 से भी ज्यादा सोने के सिक्के थे। यह जहाज 1782 में श्रीलंका के रास्ते चेन्नई से इंग्लैंड के लिए रवाना हुआ था। यह अपने इस यात्रा में दक्षिण अफ्रीका के केप शहर के कुछ दूरी पर जाकर गुम हो गया था। यह जहाज कहां डूबा कैसे डूबा आज तक कोई पता नहीं लगा सका है। हमारे देश का इतना सारा सोना आज भी समुद्र में कहीं समाया हुआ है। उस वक्त में उस खजाने की कीमत 75000 यूरो थी और वर्तमान समय में इसकी कीमत अरबों खरबों की है। यह घटना लगभग 250 वर्ष पहले ही घटित हुई थी। इस खजाने को ढूंढने की बहुत कोशिश की गई परंतु आज तक सफलता नहीं मिली है।

भारत का दूसरा गुप्त खजाना मीर उस्मान अली खान का खजाना है। अतीत भारत में हैदराबाद का निजाम कहा जाने वाला मीर उस्मान अली खान अपने समय का सबसे अमीर आदमी माना जाता था।

इसका शासन क्षेत्र पूरे इंग्लैंड जितना बड़ा हुआ करता था। उस वक्त में इसका नाम ‘ द हब मैगजीन’ में दुनिया के सबसे अमीर आदमियों के श्रेणी में चौथे स्थान पर दर्ज किया गया था। वर्ष 1937 में ‘ टाइम्स मैगजीन’ में मीर उस्मान अली खान का नाम दुनिया के सबसे अमीर आदमी के रूप में दर्ज किया गया था। अपने समय के निजाम हैदराबाद के किंग कोठी पैलेस में रहा करते थे। उस्मान ने इस महल में अपने लिए हर तरह की ऐसो आराम की व्यवस्थाएं रखी हुई थी। इसने अपने सारे खजाने को महल के किसी भूमिगत खुफिया कमरे में रखा हुआ था। जब हैदराबाद का हमारे देश में विलय हुआ तब निजाम के कुछ खजानों को भारत सरकार द्वारा जप्त कर लिया गया था। परंतु इसका सारा खजाना कहां है , आज तक किसी को नहीं पता चला है। उस्मान के समय के खजाने की वर्तमान कीमत $33 से भी अधिक थी।

   भारत का पद्मनाभस्वामी मंदिर, जो तिरपुरा में है। केरल का यह मंदिर दुनिया का सबसे अमीर हिंदू मंदिर है।

केरल का यह मंदिर रहस्यमई मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में 6 खुफिया कमरे थे, जिनमें से 5 कमरों को सरकार की इजाजत द्वारा खोला गया था। जिसमें से इतना सारा खजाना निकला था कि जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। इसके 5 कमरों में सोने से बने बर्तन, सोने की मूर्तियां, सोने के सिक्के और हीरे जवाहरात मिले थे।इस खजाने की कीमत 22 मिलीयन डॉलर के बराबर थी।परंतु इसके छोटे कमरे में अभी तक को तक नहीं खोला गया है। क्योंकि इसके दरवाजे पर सांप की  आकृतियां बनाई हुई है और यहां के पुजारियों का कहना है कि यह दरवाजा खोला गया तो पूरी दुनिया में तबाही मच जाएगी। कुछ लोगों का कहना यह भी है कि यह दरवाजा किसी खास मंत्र से खोला जाता है जो किसी को भी याद नहीं है।

    भारत के अतीत का सम्राट बिंदुसार का खजाना भारत के गुप्त खजाने में से एक है।

बिहार के राजगीर में एक बड़ा चट्टन है, जिसमें दो बड़ी-बड़ी गुफाएं हैं। जहां सम्राट बिंदुसार का खजाना छुपा हुआ है। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अंग्रेजों ने सम्राट बिंदुसार के खजाने को लूटने की बहुत कोशिश की उन्होंने इस चट्टान को तोप से उड़ाने की भी कोशिश की पर असमर्थ रहे। अंग्रेजों ने खजाने को लूटने की बहुत सारी नाकाम कोशिश की पर हमेशा मुंह की खाई। यहां एक बड़ा सा खाली कमरा भी है। लोगों का ऐसा कहना है कि यह कमरा खजाने की रखवाली करने वाले सैनिकों के लिए बनाया गया था। यहां की ऐसी भी जानकारी मिलती है कि यहां एक शंख लिपि भी है जिसमें खजाने का रहस्य छुपा हुआ परंतु इस लिपि को आज तक कोई नहीं पढ़ पाया है। ऐसा कहा जाता है कि जो इस मंत्र को समझ लेगा तो वह सारे खजाने को पा लेगा।

    भारत के गुप्त खजाना में से एक खजाना नादिरशाह का खजाना भी है। नादिरशाह को भारत के एक आक्रमणकारी के नाम से जाना जाता है। नादिरशाह का शासनकल 1736 में , जब यह इरान का राजा था। तब उसकी नजर भारत पर पड़ी थी जिसके बाद इसने 1739 में अपने 15000 सैनिकों के साथ दिल्ली पर हमला कर दिया था। उसका दिल्ली पर हमला करने का उद्देश्य दिल्ली को लूटना और यहां पर शासन करना था।

उसने युद्ध के दौरान दिल्ली में बहुत तबाही मचाई थी व बहुत से मासूम लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इसने दिल्ली को लूट तो लिया था, पर यहां पर शासन नहीं कर पाया था। ऐसा कहा जाता है कि जब इस का काफिला वापस इरान जा रहा था, तब इस का काफिला 150 मील लंबा यानी 240 किलोमीटर लंबा काफिला बन गया था। इसने भारत के बहुत सारे खजाने को लूटा था, जिसमें बहुत सारे प्रसिद्ध खजाने हैं और कोहिनूर का हीरा भी इसी ने चुराया था। जो आज भी बहस का मुद्दा बना हुआ। जब यह खजाने को लेकर अपने काफिले के साथ वापस जा रहा था तो इसके ही सैनिकों ने इसे मौत के घाट उतार दिया था। इसकी मौत के बाद यह खजाना अहमद शाह दुर्रानी का हो गया था। परंतु कुछ समय बाद दुर्रानी की किसी बीमारी की वजह से मौत हो गई थी। परंतु उसकी मौत से ही पहले सारे खजाने को कहीं छुपा दिया गया था जिसमें से केवल कोहिनूर और कुछ ही खजाने बाहर छोड़े गए थे और बाकी खजाना को छुपा दिया गया था। जो आज तक लुप्त है और उस खजाने को आज तक नहीं ढूंढा जा सका है।

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