Sunday, December 1, 2024
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महात्मा गांधी सत्य, अहिंसा और स्वतंत्रता संग्राम के बापू

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महात्मा गांधी, जिन्हें पूरे भारत में ‘बापू’ के नाम से जाना जाता है, स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। गांधी जी ने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि उन्होंने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाकर दुनिया को भी एक नई दिशा दी।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

गांधी जी का प्रारंभिक जीवन सरल और धार्मिक था। उन्होंने अपने जीवन के शुरुआती वर्षों में अपने परिवार से धार्मिक और नैतिक मूल्य सीखे। 1888 में, गांधी जी इंग्लैंड गए और वहां से वकालत की पढ़ाई की। हालांकि, उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब वे 1893 में एक कानूनी मामले के लिए दक्षिण अफ्रीका गए। दक्षिण अफ्रीका में उन्हें नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा, जिसने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। यह घटना उनके जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, जिसने उन्हें सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

सत्य और अहिंसा के सिद्धांत

गांधी जी का सबसे महत्वपूर्ण योगदान सत्य और अहिंसा का सिद्धांत है। उन्होंने माना कि सत्य, यानी सच्चाई, किसी भी संघर्ष का सबसे शक्तिशाली हथियार हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी प्रकार की हिंसा से स्थायी समाधान नहीं मिल सकता है, इसलिए उन्होंने अहिंसा का पालन किया। उनके लिए अहिंसा का अर्थ केवल शारीरिक हिंसा से बचना नहीं था, बल्कि मानसिक और भावनात्मक हिंसा से भी दूरी बनाना था।दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, गांधी जी ने अपने इन सिद्धांतों को विकसित किया और भारतीय समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने ‘सत्याग्रह’ का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसका अर्थ है सच्चाई के साथ संघर्ष करना। यह सिद्धांत भविष्य में भारत के स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य आधार बना।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

1915 में गांधी जी भारत लौटे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेना शुरू किया। 1919 में जब ब्रिटिश सरकार ने रोलेट एक्ट लागू किया, तब गांधी जी ने इसके विरोध में पूरे देश में सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को गंभीर चुनौती दी। गांधी जी का मानना था कि भारतीय जनता को ब्रिटिश सामानों का बहिष्कार करना चाहिए और स्वदेशी वस्त्रों का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने खुद चरखा चलाकर और खादी पहनकर स्वावलंबन का संदेश दिया।1930 में गांधी जी ने ब्रिटिश नमक कर के विरोध में ‘दांडी मार्च’ का नेतृत्व किया। यह 240 मील लंबी यात्रा स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक आंदोलनों में से एक मानी जाती है।

इस आंदोलन ने देशभर में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जनमत तैयार किया और लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।1942 में गांधी जी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत की। इस आंदोलन का नारा था “करो या मरो” और यह ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अंतिम और निर्णायक संघर्ष था। इस आंदोलन के बाद ब्रिटिश सरकार ने यह महसूस किया कि अब भारत में उनका शासन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकता।

गांधी जी के आदर्श और उनके प्रभाव

गांधी जी ने केवल भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष नहीं किया, बल्कि उन्होंने समाज में व्याप्त जातिवाद, छुआछूत, और सामाजिक असमानताओं के खिलाफ भी आवाज उठाई। उन्होंने ‘हरिजन’ नामक पत्रिका के माध्यम से दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उनके द्वारा किए गए सामाजिक सुधार कार्यों ने भारतीय समाज में बदलाव की लहर पैदा की।गांधी जी का जीवन सादगी, त्याग और सेवा का प्रतीक था। उन्होंने अपने जीवन में कभी भी किसी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधा की इच्छा नहीं की। उनका जीवन एक आदर्श था जो आज भी दुनिया भर के नेताओं और आम लोगों को प्रेरित करता है। मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और कई अन्य विश्व नेता गांधी जी के अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों से प्रेरित होकर अपने-अपने देशों में संघर्ष करते रहे।

गांधी जी की विरासत

30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे नामक एक व्यक्ति ने गांधी जी की हत्या कर दी। उनके निधन के बाद भी, उनके विचार और सिद्धांत आज भी जीवित हैं। गांधी जी के जन्मदिवस को हर साल 2 अक्टूबर को ‘गांधी जयंती’ के रूप में मनाया जाता है और इसे अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।गांधी जी को ‘राष्ट्रपिता’ का दर्जा मिला क्योंकि उन्होंने न केवल देश को स्वतंत्रता दिलाई बल्कि भारतीय समाज को एकजुट किया और उसे एक नई दिशा दी। उनके सिद्धांत, जैसे अहिंसा, सत्य, और स्वावलंबन, आज भी प्रासंगिक हैं और दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।महात्मा गांधी की विरासत केवल भारतीय स्वतंत्रता तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने विश्वभर में शांति, न्याय और समानता के संदेश को फैलाया। उनके विचार और सिद्धांत आज भी संघर्षरत समाजों को एक नई दिशा देने का कार्य करते हैं। इसीलिए वे केवल भारत के ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के ‘बापू’ हैं।

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