भारत में अनगिनत सबसे प्रतिष्ठित स्मारक मौजूद हैं और उन्हीं में से एक दिल्ली का कुतुब मीनार भी है। कुतुब मीनार को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल भी माना जाता है। कुतुब मीनार में पाँच मंजिलें बनी हुई हैं, जिन पर जटिल नक्काशी और कुरान के शिलालेख हैं। भारत में इस्लामी शासन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में यह खड़ा है। यह हमें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की याद दिलाता है। क्योंकि यह इस्लामी वास्तुकला की शक्ति और भव्यता का एक प्रमाण है। कुतुब मीनार परिसर में अलाउद्दीन खिलजी के मकबरे, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद और लौह स्तंभ के साथ स्थित है।
कुतुब मीनार की विशेषता
- प्राचीन भारत में अंतिम हिंदू साम्राज्य की हार के बाद इस्लाम की जीत की घोषणा करने के लिए दिल्ली में कुतुब मीनार बनाई गई थी।
- कुतुब मीनार को बनाने के लिए लाल बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया था, इसलिए वह हमें लाल रंग का दिखाई देता है।
- कुतुब मीनार, भारत की सबसे ऊंची मीनार है और ऊंचाई 234 फीट है।
- मीनार आमतौर पर पतली होती है, जो आमतौर पर मस्जिद का हिस्सा होती है, जिसमें एक बालकनी होती है। जहां मुअज्जिन मुस्लिम लोगों को नमाज़ के लिए बुलाता है।
- मीनार की यह इमारत एक आधार पर खड़ी है, जिसका व्यास 47 फीट है और अपने शिखर पर जाते-जाते नौ फीट तक पतला हो जाता है।
- कुतुब मीनार में पाँच अलग-अलग मंजिलें हैं, जिनमें से प्रत्येक में पत्थर के ब्रैकेट द्वारा समर्थित एक उभरी हुई बालकनी है।
- मीनार में कई अलंकरण हैं, जो इसे एक अद्वितीय वास्तुशिल्प कृति बनाते हैं।
- कुतुब मीनार के आधार को नक्काशीदार पुष्प और ज्यामितीय पैटर्न से सजाया गया है, और बालकनियाँ पाँच मंजिलों को विस्तृत जालियों या स्क्रीन से अलग करती हैं।
- मीनार के शीर्ष पर एक सुंदर गुंबद है।
कुतुब मीनार का अविस्मरणीय इतिहास
भारत के दिल्ली शहर में बना यह मीनार, जिसे हम सभी “कुतुब मीनार” के नाम से जानते हैं, उसका का निर्माण 1192 में दिल्ली के प्रथम सुल्तान और प्रथम मुस्लिम शासक कुतुब-उद-दीन ऐबक द्वारा किया गया था और इसका निर्माण 1368 में फिरोज शाह तुगलक द्वारा पूरा करवाया गया था। दिल्ली के प्रथम सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक ने हिंदू शासकों को हराने के बाद विजय की मीनार के रूप में कुतुब मीनार का निर्माण शुरू किया था।
प्राचीन समय में मीनार का तात्पर्य उस जगह से भी होता था, जहाँ मुअज्जिन मुसलमानों को नमाज़ के लिए बुलाते थे। इसके अलावा दुश्मन की हरकतों पर नज़र रखने के लिए एक सैन्य निगरानी टॉवर होता था, जिसे मीनार कहा जाता था।
क्यों प्रसिद्ध है कुतुब मीनार?
यह भारत में इस्लामी शासन और वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। विजय टॉवर भारत की इस्लामी विजय का प्रतीक है और सूफी संत कुतुबुद्दीन बख्तियार का सम्मान करता है, जबकि इसकी वास्तुकला पारंपरिक इस्लामी संरचनाओं पर दक्षिण-पश्चिमी एशियाई डिजाइन का प्रभाव दिखाती है। इसका निर्माण दिल्ली के प्रथम सुलतान ने करवाया था।
कुतुब मीनार का दरवाजा क्यों हुआ बंद?
साल 1981 में कुतुब मीनार में लोगों के साथ एक भयानक हादसा घटित हुआ था। जिसकी वजह से अंदर बहुत भगदड़ मच गई थी और जिसके कारण यहां कई लोगों की मौत हो गई। इस हादसे के बाद से ही भारत सरकार द्वारा इसके दरवाजे को बंद करने का आदेश दिया गया और तब से ही कुतुब मीनार का दरवाजा बंद कर दिया गया।