http://https//globalexplorer.inमहात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला अहिंसा और न्याय के पथप्रदर्शक
नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी जी के संबंधों के बारे में बात करना न केवल इतिहास की गहराई को समझने का एक तरीका है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि इन दोनों महापुरुषों के विचार और संघर्ष किस प्रकार से मानवता के लिए प्रेरणा बन गए। यद्यपि उनके जीवन के समय में अंतर था, लेकिन उनके संघर्षों में समानता और आपसी संबंध था जो विश्व भर में स्वतंत्रता, न्याय और समानता की भावना को जागरूक करता है।
महात्मा गांधी जी का योगदान
महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। वे एक महान नेता थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया। गांधी जी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया। उनके द्वारा अपनाया गया सत्याग्रह और अहिंसात्मक आंदोलन न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में प्रेरणादायक बन गया।
गांधी जी का दक्षिण अफ्रीका से गहरा संबंध था। वकालत के पेशे के कारण गांधी जी को 1893 में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां के अश्वेतों और भारतीयों के प्रति हो रहे अन्याय और भेदभाव ने गांधी जी को झकझोर दिया। यही वह समय था जब गांधी जी ने अहिंसा और सत्याग्रह के अपने सिद्धांतों को अपनाया और दक्षिण अफ्रीका में भेदभाव के खिलाफ लड़ाई शुरू की। उनके आंदोलन ने दक्षिण अफ्रीका के अश्वेत और भारतीय समुदाय के अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नेल्सन मंडेला का योगदान
नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई, 1918 को म्वेज़ो, दक्षिण अफ्रीका में हुआ था। मंडेला जी दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति के खिलाफ लड़ाई के मुख्य नेता थे। रंगभेद नीति दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव की एक प्रणाली थी, जिसमें श्वेत अल्पसंख्यकों को सभी महत्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकार प्राप्त थे, जबकि अश्वेत बहुसंख्यकों को निम्न स्तर पर रखा गया था।
मंडेला ने अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (ANC) के साथ मिलकर रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया। उनका संघर्ष भी गांधी जी की तरह अहिंसात्मक था, लेकिन बाद में उन्होंने सशस्त्र संघर्ष का भी सहारा लिया क्योंकि उनके शांतिपूर्ण प्रयासों को लगातार दबाया गया। मंडेला को अपने संघर्ष के लिए 27 सालों तक जेल में रहना पड़ा। लेकिन जेल से बाहर आने के बाद भी उन्होंने कभी बदले की भावना नहीं रखी। 1994 में मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने और उन्होंने देश में शांति, समानता और न्याय की स्थापना की।
गांधी और मंडेला के संबंध
गांधी जी और नेल्सन मंडेला के बीच सीधा संपर्क नहीं हुआ, क्योंकि गांधी जी का निधन 1948 में हो गया था, जबकि मंडेला जी का संघर्ष इसके बाद भी जारी रहा। परंतु गांधी जी के विचार और उनके संघर्ष ने मंडेला को गहरे रूप से प्रभावित किया। मंडेला जी ने कई बार कहा है कि उन्होंने गांधी जी के सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों से प्रेरणा ली।गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रहकर जिस प्रकार से शांति और अहिंसा
का सहारा लेकर अधिकारों के लिए संघर्ष किया, उसी प्रकार मंडेला ने भी अपने संघर्ष में अहिंसा और समानता के सिद्धांतों को अपनाया। मंडेला जी गांधी जी को अपना आदर्श मानते थे और उन्होंने गांधी जी के मार्गदर्शन को अपने संघर्ष का आधार बनाया।
दोनो नेताओं के विचारों की समानता:
गांधी और मंडेला दोनों ही इस विचारधारा के समर्थक थे कि मानवता की भलाई के लिए संघर्ष अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर ही किया जा सकता है। दोनों ही नेताओं ने अपने-अपने देश में सामाजिक न्याय, समानता और स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी और अपने संघर्ष में मानवाधिकारों की रक्षा को सर्वोपरि रखा।
जहां गांधी जी ने भारत में अंग्रेजी शासन के खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन चलाया, वहीं मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी। दोनों ने ही यह साबित किया कि अहिंसा और सत्य की शक्ति से बड़े से बड़े अत्याचार का सामना किया जा सकता है और समाज में शांति और न्याय की स्थापना की जा सकती है।
नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी जी के संबंधों को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके जीवन और संघर्ष ने यह सिद्ध कर दिया कि चाहे किसी भी देश में हो, अन्याय और भेदभाव का सामना करने के लिए अहिंसा और सत्य का मार्ग अपनाना ही सबसे श्रेष्ठ है। गांधी जी के विचारों ने मंडेला को प्रेरित किया और दोनों ही नेताओं ने अपने-अपने समय में दुनिया को यह संदेश दिया कि मानवता की रक्षा के लिए हमें हमेशा अहिंसा, प्रेम और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए।दोनों के संघर्षों ने न केवल उनके देशों को बल्कि पूरी दुनिया को यह सिखाया कि सच्चे नेतृत्व का अर्थ केवल राजनीतिक सत्ता प्राप्त करना नहीं होता, बल्कि न्याय, समानता और मानवता की रक्षा के लिए संघर्ष करना होता है।