देवराय प्रथम विजयनगर साम्राज्य के तीसरे शासक थे, जिन्होंने 1406 से 1425 तक शासन किया। उनके शासनकाल की मुख्य विशेषताएं और उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं:देवराय ने विजयनगर साम्राज्य की स्थापना के बाद इसकी मजबूती और विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया।
उन्होंने अपने शासनकाल में कई सैन्य अभियान चलाए और अपने पड़ोसी राज्यों पर विजय प्राप्त की।उन्होंने विजयनगर शहर को एक शक्तिशाली और समृद्ध शहर में बदल दिया। उन्होंने शहर की रक्षा के लिए मजबूत दीवारें और किले बनवाए।देवराय ने व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने व्यापार मार्गों का विकास किया और व्यापारियों को आकर्षित करने के लिए कई प्रोत्साहन प्रदान किए।उन्होंने कला और संस्कृति को भी बढ़ावा दिया।
उन्होंने कई मंदिरों और स्मारकों का निर्माण करवाया और कलाकारों और विद्वानों को संरक्षण प्रदान किया।देवराय ने अपने शासनकाल में प्रशासनिक सुधार भी किए। उन्होंने एक कुशल और संपन्न प्रशासनिक प्रणाली स्थापित की और राज्य को कई प्रशासनिक इकाइयों में बांटा।उन्होंने विजयनगर साम्राज्य की रक्षा के लिए एक मजबूत सेना का गठन किया।
उन्होंने अपनी सेना को आधुनिक बनाने के लिए कई सुधार किए और अपने पड़ोसी राज्यों के खिलाफ कई सफल अभियान चलाए।इन उपलब्धियों के साथ, देवराय प्रथम विजयनगर साम्राज्य के एक महान शासक के रूप में जाने जाते हैं। उनके शासनकाल ने विजयनगर साम्राज्य की मजबूती और समृद्धि की नींव रखी।
सैन्य अभियान
विजयनगर साम्राज्य के महान शासक देवराय प्रथम ने अपने शासनकाल में कई सफल सैन्य अभियान चलाए। उनके सबसे महत्वपूर्ण अभियान हैं:
बहमनी सुल्तानों के खिलाफ अभियान: देवराय ने बहमनी सुल्तानों के खिलाफ कई अभियान चलाए और उन्हें पराजित किया, जिससे विजयनगर साम्राज्य की सीमाएं दक्षिण में बढ़ गईं।
ओडिशा के गजपति राज्य के खिलाफ अभियान: देवराय ने ओडिशा के गजपति राज्य पर विजय प्राप्त की और उसे अपने साम्राज्य में मिला लिया।
पोर्टुगीजों के खिलाफ अभियान: देवराय ने पोर्टुगीजों के खिलाफ भी अभियान चलाए और उन्हें अपनी सीमाओं से बाहर रखा.देवराय की सैन्य सफलताओं ने विजयनगर साम्राज्य को एक शक्तिशाली और विस्तृत साम्राज्य बना दिया।
उनके अभियानों से विजयनगर साम्राज्य की सीमाएं बढ़ गईं और उसकी आर्थिक और सांस्कृतिक महत्ता भी बढ़ गई।
प्रशासनिक सुधार
विजयनगर साम्राज्य के महान शासक कृष्णदेवराय ने अपने शासनकाल में कई प्रशासनिक सुधार किए। उनके कुछ प्रमुख सुधार निम्नलिखित हैं:
प्रशासनिक विभाजन: उन्होंने अपने साम्राज्य को कई छोटी-छोटी इकाइयों में बांटा, जिन्हें “मंडल” या “राज्य” कहा जाता था, जिससे प्रशासन में सुविधा हुई।
राजस्व सुधार: उन्होंने भूमि राजस्व की दर को कम किया और किसानों को राजस्व देने के लिए अधिक समय दिया।
न्याय प्रणाली: उन्होंने एक न्यायपालिका प्रणाली स्थापित की जिसमें न्यायाधीशों को न्याय देने का अधिकार दिया गया।
सैन्य सुधार: उन्होंने अपनी सेना को मजबूत बनाने के लिए कई सैन्य सुधार किए।
आर्थिक विकास: उन्होंने व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिए कई आर्थिक सुधार किए।
इन सुधारों से विजयनगर साम्राज्य की शक्ति और समृद्धि में वृद्धि हुई।
धार्मिक सहिष्णुता
विजयनगर साम्राज्य के महान शासक देवराय प्रथम ने 1406 से 1422 तक शासन किया था। उनकी धार्मिक सहिष्णुता के कई उदाहरण हैं:
सर्वधर्म समभाव: देवराय ने हिंदू, मुसलमान, जैन और ईसाई सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार और सम्मान दिया।
धार्मिक स्थलों का निर्माण: उन्होंने हिंदू मंदिरों के साथ-साथ मुस्लिम मस्जिदों और जैन मंदिरों का भी निर्माण करवाया।
तीर्थयात्रियों का सम्मान: देवराय ने सभी धर्मों के तीर्थयात्रियों का सम्मान किया और उनकी सहायता की।
धार्मिक चर्चाएं: उन्होंने विभिन्न धर्मों के विद्वानों के बीच चर्चाएं आयोजित करवाईं ताकि लोगों को एक दूसरे के धर्म के बारे में जानने का अवसर मिले।
देवराय की धार्मिक सहिष्णुता ने विजयनगर साम्राज्य को एक आदर्श मॉडल बनाया, जहां विभिन्न धर्मों के लोग मिलजुलकर रहते थे।
सांस्कृतिक विकास
देवराय प्रथम विजयनगर साम्राज्य के एक महान शासक थे, जिन्होंने 1406 से 1422 तक शासन किया। उनके शासनकाल में सांस्कृतिक विकास के कई महत्वपूर्ण पहलू हुए। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु हैं:
साहित्य और शिक्षा: देवराय ने संस्कृत और तेलुगु साहित्य को बढ़ावा दिया। उन्होंने विद्वानों और कवियों को संरक्षण प्रदान किया और शिक्षा के केंद्र स्थापित किए।
वास्तुकला: देवराय ने विजयनगर में कई महत्वपूर्ण इमारतों का निर्माण करवाया, जिनमें हम्पी में विट्ठल स्वामी मंदिर प्रमुख है।
कला और शिल्प: उनके शासनकाल में कला और शिल्प का विकास हुआ। विजयनगर की मूर्तिकला और चित्रकला इस काल में चरम पर पहुंची।
धार्मिक सहिष्णुता: देवराय ने धार्मिक सहिष्णुता का पालन किया और हिंदू, मुस्लिम, और अन्य धर्मों के लोगों को समान अधिकार दिए।
संगीत और नृत्य: संगीत और नृत्य को भी बढ़ावा मिला। विजयनगर के दरबार में कई प्रसिद्ध संगीतकार और नर्तक थे।
देवराय के शासनकाल में विजयनगर साम्राज्य सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हुआ और उनका शासनकाल स्वर्ण युग माना जाता है।
निष्कर्ष
उनकी महानता के कारणों में से एक उनकी सैन्य क्षमता थी, जिसने उन्हें दक्षिण भारत में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना करने में मदद की।उन्होंने कला, संस्कृति, और विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए, जिससे उनके शासनकाल में इन क्षेत्रों में अद्वितीय प्रगति हुई।
उनकी न्यायप्रियता और लोक कल्याणकारी नीतियों ने उन्हें अपने राज्य के लोगों का सम्मान और प्रेम प्राप्त करने में मदद की।उनकी राजनीतिक दूरदर्शिता ने उन्हें पड़ोसी राज्यों के साथ संबंधों को मजबूत करने और अपने साम्राज्य की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद की।
इन विशेषताओं के आधार पर, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि कृष्णदेवराय एक महान शासक थे जिन्होंने अपने साम्राज्य की समृद्धि और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।