वैष्णव काल मध्ययुगीन काल का एक महत्वपूर्ण भाग था, जो लगभग 6ठी से 17वीं शताब्दी तक फैला हुआ था। इस काल में भगवान विष्णु की भक्ति और उपासना का विकास हुआ और कई प्रमुख ग्रंथों और तीर्थ स्थलों का निर्माण हुआ। इस काल में कई प्रमुख ग्रंथों और तीर्थ स्थलों का निर्माण हुआ, जो आज भी वैष्णव समुदाय के लिए पवित्र और महत्वपूर्ण हैं।
वैष्णव काल के ग्रंथों में श्रीमद्भागवत पुराण, श्रीमद्भगवद्गीता, विष्णु पुराण जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथ शामिल हैं। इन ग्रंथों में भगवान विष्णु की महिमा, भक्ति का महत्व और आत्म-साक्षात्कार की प्रक्रिया का वर्णन है।वैष्णव काल के तीर्थ स्थलों में वृंदावन, मथुरा, अयोध्या, पुरी, तिरुपति जैसे प्रमुख स्थल शामिल हैं। इन स्थलों पर भगवान विष्णु के अवतारों की जन्मभूमि और भक्ति के महत्वपूर्ण स्थल हैं।वैष्णव काल के महत्वपूर्ण आचार्यों में श्री रामानुज, मध्वाचार्य, वल्लभाचार्य और चैतन्य महाप्रभु जैसे प्रमुख आचार्य हुए। इन्होंने वैष्णव धर्म के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भगवान विष्णु की भक्ति को बढ़ावा दिया।आज भी वैष्णव काल के ग्रंथ और तीर्थ स्थल वैष्णव समुदाय के लिए पवित्र और महत्वपूर्ण हैं और भगवान विष्णु की भक्ति और उपासना का केंद्र हैं।
वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख ग्रंथ:
श्रीमद्भगवद्गीता
श्रीमद्भगवद्गीता एक पवित्र हिंदू ग्रंथ है, जो भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच के संवाद को दर्शाता है। यह ग्रंथ महाभारत के भीष्म पर्व का एक हिस्सा है और इसकी रचना लगभग 400 ईसा पूर्व हुई थी।श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कृष्ण अर्जुन को जीवन के मूलभूत सिद्धांतों और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग के बारे में शिक्षा देते हैं। इसमें 18 अध्याय हैं, जिनमें कुल 700 श्लोक हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता के मुख्य विषय हैं:
- धर्म और कर्म का महत्व
- आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष का मार्ग
- भगवान की महिमा और भक्ति का महत्व
- जीवन के मूलभूत सिद्धांत और नैतिकता
- योग और ध्यान का महत्व
श्रीमद्भगवद्गीता के मुख्य संदेश हैं:
- कर्म के बिना जीवन अधूरा है।
- भगवान की भक्ति से आत्म-साक्षात्कार होता है।
- जीवन में धर्म और नैतिकता का पालन करना आवश्यक है।
- आत्म-साक्षात्कार के लिए योग और ध्यान आवश्यक हैं।
- भगवान की महिमा और शक्ति को समझना आवश्यक है।
श्रीमद्भगवद्गीता के प्रमुख अध्याय हैं:
- अर्जुन विषाद योग (अध्याय 1)
- सांख्य योग (अध्याय 2-3)
- कर्म योग (अध्याय 4-6)
- ज्ञान योग (अध्याय 7-12)
- भक्ति योग (अध्याय 13-18)
श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व:
- यह हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है।
- यह जीवन के मूलभूत सिद्धांतों को दर्शाता है।
- यह आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष का मार्ग दिखाता है।
- यह भगवान की महिमा और भक्ति का महत्व दर्शाता है।
- यह विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है।
श्रीमद्भागवत पुराण
श्रीमद्भागवत पुराण एक पवित्र हिंदू ग्रंथ है, जो भगवान विष्णु की महिमा और भक्ति को दर्शाता है। यह ग्रंथ पुराणों की श्रेणी में आता है और इसकी रचना लगभग 800-1000 ईस्वी के बीच हुई थी।
श्रीमद्भागवत पुराण के मुख्य विषय हैं:
- भगवान विष्णु की महिमा और अवतारों का वर्णन
- भक्ति का महत्व और भगवान की प्राप्ति के मार्ग
- जीवन के मूलभूत सिद्धांत और नैतिकता
- आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष का मार्ग
- भगवान कृष्ण की कहानी और उनकी भक्ति का महत्व
श्रीमद्भागवत पुराण के मुख्य संदेश हैं:
- भगवान विष्णु ही सर्वोच्च भगवान हैं।
- भक्ति ही भगवान की प्राप्ति का मार्ग है।
- जीवन में धर्म और नैतिकता का पालन करना आवश्यक है।
- आत्म-साक्षात्कार के लिए योग और ध्यान आवश्यक हैं।
- भगवान कृष्ण की भक्ति से मोक्ष प्राप्त होता है।
श्रीमद्भागवत पुराण के प्रमुख अध्याय हैं:
- कृष्ण जन्म और बाल्य लीला (स्कंध 10)
- कृष्ण की रास लीला (स्कंध 10)
- भगवान विष्णु के अवतारों का वर्णन (स्कंध 1-9)
- भक्ति का महत्व और भगवान की प्राप्ति के मार्ग (स्कंध 11-12)
श्रीमद्भागवत पुराण का महत्व:
- यह हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है।
- यह भगवान विष्णु की महिमा और भक्ति को दर्शाता है।
- यह जीवन के मूलभूत सिद्धांतों को दर्शाता है।
- यह आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष का मार्ग दिखाता है।
- यह विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है।
रामायण
रामायण पुराण एक पवित्र हिंदू ग्रंथ है, जो भगवान राम की कहानी और उनकी महिमा को दर्शाता है। यह ग्रंथ पुराणों की श्रेणी में आता है और इसकी रचना लगभग 500 ईसा पूर्व हुई थी।
रामायण के मुख्य विषय हैं:
- भगवान राम की जन्म और बाल्य लीला
- राम की पत्नी सीता का अपहरण और राम की वन यात्रा
- राम और रावण का युद्ध और रावण का वध
- राम की विजय और अयोध्या में उनका राज्याभिषेक
- भगवान राम की महिमा और भक्ति का महत्व
रामायण के मुख्य संदेश हैं:
- भगवान राम ही सर्वोच्च भगवान हैं।
- धर्म और नैतिकता का पालन करना आवश्यक है।
- पति-पत्नी के बीच का संबंध पवित्र है।
- आत्म-साक्षात्कार के लिए योग और ध्यान आवश्यक हैं।
- भगवान राम की भक्ति से मोक्ष प्राप्त होता है।
रामायण के प्रमुख अध्याय हैं:
- बालकांड (राम की जन्म और बाल्य लीला)
- अयोध्याकांड (राम का राज्याभिषेक)
- अरण्यकांड (राम की वन यात्रा)
- किष्किंधाकांड (राम और हनुमान की मित्रता)
- युद्धकांड (राम और रावण का युद्ध)
- उत्तरकांड (राम की विजय और अयोध्या में उनका राज्याभिषेक)
रामायण का महत्व:
- यह हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है।
- यह भगवान राम की महिमा और भक्ति को दर्शाता है।
- यह जीवन के मूलभूत सिद्धांतों को दर्शाता है।
- यह आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष का मार्ग दिखाता है।
- यह विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है।
महाभारत
महाभारत पुराण एक पवित्र हिंदू ग्रंथ है, जो भगवान कृष्ण की कहानी और उनकी महिमा को दर्शाता है। यह ग्रंथ पुराणों की श्रेणी में आता है और इसकी रचना लगभग 400 ईसा पूर्व हुई थी।
महाभारत के मुख्य विषय हैं:
- भगवान कृष्ण की जन्म और बाल्य लीला
- पांडवों और कौरवों का युद्ध और भगवान कृष्ण की भूमिका
- भगवान कृष्ण की शिक्षाएं और उपदेश
- अर्जुन और भगवान कृष्ण के बीच का संवाद (भगवद्गीता)
- भगवान कृष्ण की महिमा और भक्ति का महत्व
महाभारत के मुख्य संदेश हैं:
- भगवान कृष्ण ही सर्वोच्च भगवान हैं।
- धर्म और नैतिकता का पालन करना आवश्यक है।
- आत्म-साक्षात्कार के लिए योग और ध्यान आवश्यक हैं।
- भगवान कृष्ण की भक्ति से मोक्ष प्राप्त होता है।
- जीवन में सत्य और न्याय का पालन करना आवश्यक है।
महाभारत के प्रमुख अध्याय हैं:
- आदि पर्व (भगवान कृष्ण की जन्म और बाल्य लीला)
- सभा पर्व (पांडवों और कौरवों का युद्ध)
- वन पर्व (पांडवों की वन यात्रा)
- विराट पर्व (पांडवों की छलावा)
- उद्योग पर्व (पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध की तैयारी)6. भीष्म पर्व (भगवान कृष्ण की शिक्षाएं और उपदेश)
- द्रोण पर्व (पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध)
- कर्ण पर्व (कर्ण की कहानी)
- शल्य पर्व (पांडवों की विजय)
- सौप्तिक पर्व (अश्वत्थामा की कहानी)
- स्त्री पर्व (द्रौपदी की कहानी)
- शांति पर्व (भगवान कृष्ण की शिक्षाएं और उपदेश)
- अनुशासन पर्व (भगवान कृष्ण की शिक्षाएं और उपदेश)
- आश्वमेधिक पर्व (भगवान कृष्ण की शिक्षाएं और उपदेश)
- आश्रमवासिक पर्व (भगवान कृष्ण की शिक्षाएं और उपदेश)
- मौसाल पर्व (भगवान कृष्ण की महिमा)
- महाप्रस्थानिक पर्व (भगवान कृष्ण की महिमा)
- स्वर्गारोहण पर्व (भगवान कृष्ण की महिमा)
महाभारत का महत्व:
- यह हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है।
- यह भगवान कृष्ण की महिमा और भक्ति को दर्शाता है।
- यह जीवन के मूलभूत सिद्धांतों को दर्शाता है
- यह आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष का मार्ग दिखाता है।
- यह विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है।
विष्णुपुराण
विष्णु पुराण एक पवित्र हिंदू ग्रंथ है, जो भगवान विष्णु की महिमा और उनके अवतारों का वर्णन करता है। यह ग्रंथ पुराणों की श्रेणी में आता है और इसकी रचना लगभग 300-500 ईस्वी के बीच हुई थी।
विष्णु पुराण के मुख्य विषय हैं:
- भगवान विष्णु की महिमा और उनके अवतारों का वर्णन
- सृष्टि की उत्पत्ति और विष्णु की भूमिका
- विष्णु के अवतारों की कहानियाँ (मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण आदि)
- भगवान विष्णु की भक्ति और पूजा का महत्व
- जीवन के मूलभूत सिद्धांतों और नैतिकता का पालन करने का महत्व
विष्णु पुराण के मुख्य संदेश हैं:
- भगवान विष्णु ही सर्वोच्च भगवान हैं।
- विष्णु की भक्ति से मोक्ष प्राप्त होता है।
- जीवन में धर्म और नैतिकता का पालन करना आवश्यक है।
- आत्म-साक्षात्कार के लिए योग और ध्यान आवश्यक हैं।
- भगवान विष्णु की कृपा से ही जीवन की समस्याएं दूर होती हैं।
विष्णु पुराण के प्रमुख अध्याय हैं:
- प्रथम अम्श (विष्णु की महिमा और सृष्टि की उत्पत्ति)
- द्वितीय अम्श (विष्णु के अवतारों की कहानियाँ)
- तृतीय अम्श (विष्णु की भक्ति और पूजा का महत्व)
- चतुर्थ अम्श (जीवन के मूलभूत सिद्धांतों और नैतिकता का पालन करने का महत्व)
- पंचम अम्श (विष्णु की कृपा और मोक्ष का मार्ग)
- षष्ठ अम्श (विष्णु की महिमा और भक्ति का महत्व)
विष्णु पुराण का महत्व:
- यह हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है।
- यह भगवान विष्णु की महिमा और भक्ति को दर्शाता है।
- यह जीवन के मूलभूत सिद्धांतों को दर्शाता है।
- यह आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष का मार्ग दिखाता है।
- यह विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है।
वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख तीर्थस्थल:
वृंदावन
वृंदावन एक पवित्र तीर्थस्थल है, जो भगवान कृष्ण की जन्मभूमि और बाल्य लीला का स्थल है। यह शहर उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है और वैष्णव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
वृंदावन का इतिहास:
वृंदावन का उल्लेख महाभारत और पुराणों में मिलता है। यह शहर भगवान कृष्ण के समय से ही एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल रहा है। मध्ययुगीन काल में वृंदावन में कई मंदिरों और आश्रमों का निर्माण हुआ।
वृंदावन के प्रमुख दर्शनीय स्थल:
- श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर: भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर स्थित यह मंदिर वृंदावन का सबसे प्रमुख दर्शनीय स्थल है।
- बांके बिहारी मंदिर: भगवान कृष्ण की बाल्य लीला का स्थल यह मंदिर वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
- राधा रमण मंदिर: भगवान कृष्ण की पत्नी राधा को समर्पित यह मंदिर वृंदावन के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
- इस्कॉन मंदिर: भगवान कृष्ण की भक्ति के लिए समर्पित यह मंदिर वृंदावन के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
- यमुना नदी: भगवान कृष्ण की बाल्य लीला का स्थल यह नदी वृंदावन के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थलों में से एक है।
वृंदावन का महत्व:
- भगवान कृष्ण की जन्मभूमि और बाल्य लीला का स्थल होने के कारण वृंदावन वैष्णव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
- वृंदावन में कई प्रमुख मंदिरों और आश्रमों का निर्माण हुआ है, जो भगवान कृष्ण की भक्ति के लिए समर्पित हैं।
- वृंदावन में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, जो भगवान कृष्ण की दर्शन और पूजा करने के लिए आते हैं।
- वृंदावन की संस्कृति और परंपराएं भगवान कृष्ण की भक्ति के केंद्र में हैं।
वृंदावन के प्रमुख त्योहार:
- जन्माष्टमी: भगवान कृष्ण के जन्म के अवसर पर मनाया जाने वाला यह त्योहार वृंदावन के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
- होली: भगवान कृष्ण की बाल्य लीला के अवसर पर मनाया जाने वाला यह त्योहार वृंदावन के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
- राधाष्टमी: भगवान कृष्ण की पत्नी राधा के जन्म के अवसर पर मनाया जाने वाला यह त्योहार वृंदावन के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
मथुरा
मथुरा एक पवित्र तीर्थस्थल है, जो भगवान कृष्ण की जन्मभूमि और बाल्य लीला का स्थल है। यह शहर उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है और वैष्णव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
मथुरा का इतिहास:
मथुरा का उल्लेख महाभारत और पुराणों में मिलता है। यह शहर भगवान कृष्ण के समय से ही एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल रहा है। मध्ययुगीन काल में मथुरा में कई मंदिरों और आश्रमों का निर्माण हुआ।
मथुरा के प्रमुख दर्शनीय स्थल:
- श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर: भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर स्थित यह मंदिर मथुरा का सबसे प्रमुख दर्शनीय स्थल है।
- केशव देव मंदिर: भगवान कृष्ण को समर्पित यह मंदिर मथुरा के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
- द्वारिकाधीश मंदिर: भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी को समर्पित यह मंदिर मथुरा के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
- यमुना नदी: भगवान कृष्ण की बाल्य लीला का स्थल यह नदी मथुरा के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थलों में से एक है।
- गोविंद घाट: भगवान कृष्ण की बाल्य लीला का स्थल यह घाट मथुरा के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थलों में से एक है।
मथुरा का महत्व:
- भगवान कृष्ण की जन्मभूमि और बाल्य लीला का स्थल होने के कारण मथुरा वैष्णव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
- मथुरा में कई प्रमुख मंदिरों और आश्रमों का निर्माण हुआ है, जो भगवान कृष्ण की भक्ति के लिए समर्पित हैं।
- मथुरा में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, जो भगवान कृष्ण की दर्शन और पूजा करने के लिए आते हैं।
- मथुरा की संस्कृति और परंपराएं भगवान कृष्ण की भक्ति के केंद्र में हैं।
मथुरा के प्रमुख त्योहार:
- जन्माष्टमी: भगवान कृष्ण के जन्म के अवसर पर मनाया जाने वाला यह त्योहार मथुरा के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
- होली: भगवान कृष्ण की बाल्य लीला के अवसर पर मनाया जाने वाला यह त्योहार मथुरा के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
- राधाष्टमी: भगवान कृष्ण की पत्नी राधा के जन्म के अवसर पर मनाया जाने वाला यह त्योहार मथुरा के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
अयोध्या
अयोध्या एक पवित्र तीर्थस्थल है, जो भगवान राम की जन्मभूमि और राजधानी है। यह शहर उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है और वैष्णव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
अयोध्या का इतिहास:
अयोध्या का उल्लेख रामायण और महाभारत में मिलता है। यह शहर भगवान राम के समय से ही एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल रहा है। मध्ययुगीन काल में अयोध्या में कई मंदिरों और आश्रमों का निर्माण हुआ।
अयोध्या के प्रमुख दर्शनीय स्थल:
- राम जन्मभूमि मंदिर: भगवान राम की जन्मभूमि पर स्थित यह मंदिर अयोध्या का सबसे प्रमुख दर्शनीय स्थल है।
- हनुमान गढ़ी मंदिर: भगवान हनुमान को समर्पित यह मंदिर अयोध्या के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
- सीता रसोई मंदिर: भगवान राम की पत्नी सीता को समर्पित यह मंदिर अयोध्या के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
- त्रेता के ठाकुर मंदिर: भगवान राम को समर्पित यह मंदिर अयोध्या के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
- सरयू नदी: भगवान राम की बाल्य लीला का स्थल यह नदी अयोध्या के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थलों में से एक है।
अयोध्या का महत्व:
- भगवान राम की जन्मभूमि और राजधानी होने के कारण अयोध्या वैष्णव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
- अयोध्या में कई प्रमुख मंदिरों और आश्रमों का निर्माण हुआ है, जो भगवान राम की भक्ति के लिए समर्पित हैं।
- अयोध्या में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, जो भगवान राम की दर्शन और पूजा करने के लिए आते हैं।
- अयोध्या की संस्कृति और परंपराएं भगवान राम की भक्ति के केंद्र में हैं।
अयोध्या के प्रमुख त्योहार:
- राम नवमी: भगवान राम के जन्म के अवसर पर मनाया जाने वाला यह त्योहार अयोध्या के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
- दशहरा: भगवान राम की विजय के अवसर पर मनाया जाने वाला यह त्योहार अयोध्या के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
- दीपावली: भगवान राम की वापसी के अवसर पर मनाया जाने वाला यह त्योहार अयोध्या के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
तिरुपति
तिरुपति एक पवित्र तीर्थस्थल है, जो भगवान वेंकटेश्वर की आराधना के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित है और वैष्णव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
तिरुपति का इतिहास:
तिरुपति का उल्लेख पुराणों और इतिहास ग्रंथों में मिलता है। यह शहर भगवान वेंकटेश्वर की आराधना के लिए प्रसिद्ध है, जो भगवान विष्णु के अवतार हैं। मध्ययुगीन काल में तिरुपति में कई मंदिरों और आश्रमों का निर्माण हुआ।
तिरुपति के प्रमुख दर्शनीय स्थल:
- तिरुमाला मंदिर: भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित यह मंदिर तिरुपति का सबसे प्रमुख दर्शनीय स्थल है।
- पाद्मावती मंदिर: भगवान वेंकटेश्वर की पत्नी पाद्मावती को समर्पित यह मंदिर तिरुपति के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
- श्री वेंकटेश्वर मंदिर: भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित यह मंदिर तिरुपति के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
- अकास गंगा मंदिर: भगवान वेंकटेश्वर की बाल्य लीला का स्थल यह मंदिर तिरुपति के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थलों में से एक है।
- तिरुमाला पर्वत: भगवान वेंकटेश्वर की आराधना के लिए प्रसिद्ध यह पर्वत तिरुपति के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थलों में से एक है।
तिरुपति का महत्व
- भगवान वेंकटेश्वर की आराधना के लिए प्रसिद्ध होने के कारण तिरुपति वैष्णव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
- तिरुपति में कई प्रमुख मंदिरों और आश्रमों का निर्माण हुआ है, जो भगवान वेंकटेश्वर की भक्ति के लिए समर्पित हैं।
- तिरुपति में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, जो भगवान वेंकटेश्वर की दर्शन और पूजा करने के लिए आते हैं।
- तिरुपति की संस्कृति और परंपराएं भगवान वेंकटेश्वर की भक्ति के केंद्र में हैं।
तिरुपति के प्रमुख त्योहार:
- ब्रह्मोत्सवम: भगवान वेंकटेश्वर की आराधना के लिए मनाया जाने वाला यह त्योहार तिरुपति के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
- वासंतोत्सवम: भगवान वेंकटेश्वर की विजय के अवसर पर मनाया जाने वाला यह त्योहार तिरुपति के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
- तिरुपति क्षेत्रीय त्योहार: भगवान वेंकटेश्वर की आराधना के लिए मनाया जाने वाला यह त्योहार तिरुपति के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
निष्कर्ष
पुरी वैष्णव संप्रदाय ने हिंदू धर्म के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया और आज भी यह एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली धार्मिक आंदोलन है।मध्ययुगीन काल के दौरान, वैष्णव धर्म ने भारत के विभिन्न भागों में अपनी जड़ें जमाईं और कई प्रमुख केंद्रों में विकसित हुआ। इनमें से कुछ प्रमुख केंद्र हैं- दक्षिण भारत में श्री वैष्णव संप्रदाय का विकास, उत्तर भारत में वल्लभ संप्रदाय का विकास, बंगाल में गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय का विकास, ओडिशा में जगन्नाथ संप्रदाय का विकास।
इन संप्रदायों ने वैष्णव धर्म के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भगवान विष्णु की भक्ति को बढ़ावा दिया। मध्ययुगीन काल में वैष्णव धर्म के प्रमुख आचार्यों ने अपनी शिक्षाओं के माध्यम से भगवान विष्णु की महिमा को प्रतिपादित किया और भक्ति के महत्व को दर्शाया।
मध्ययुगीन काल के दौरान वैष्णव धर्म के विकास में निम्नलिखित घटनाएं महत्वपूर्ण थीं- श्री रामानुज की शिक्षाएं (11वीं शताब्दी), मध्वाचार्य की शिक्षाएं (13वीं शताब्दी), वल्लभाचार्य की शिक्षाएं (15वीं शताब्दी), चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाएं (16वीं शताब्दी)। इन घटनाओं ने वैष्णव धर्म के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भगवान विष्णु की भक्ति को बढ़ावा दिया।