प्रत्येक भारतीय बच्चे को स्कूल में राष्ट्रगान, राष्ट्रीय वृक्ष, राष्ट्रीय पशु और इस तरह के सामान्य ज्ञान और अन्य कई विषयों के बारे में पढ़ाया जाता है। हम सभी ने भी एक समय पर भारत के राष्ट्रीय खेल के विषय में भी सुना हुआ है। राष्ट्रीय खेल का नाम सुनते ही अगर आपके दिमाग में भी हॉकी का ख्याल आता है, तो ऐसा विचार करने वाले आप अकेले नहीं हैं। हम सभी यह जानते हैं कि हॉकी भारत की विरासत का एक अहम हिस्सा है और देश ने इस खेल में कई पुरस्कार जीते हैं। हॉकी ने प्राचीन समय से ही हर भारतीय के दिल में एक खास जगह बनाए हुए है। जैसे कि साल 1936 के बर्लिन ओलंपिक में मेजर ध्यानचंद के शानदार प्रदर्शन से लेकर 2020 के टोक्यो ओलंपिक में भारत की शानदार वापसी तक हॉकी में भारत का एक बेहतरीन इतिहास रहा है। इसी प्रकार आज भी हॉकी भारतीयों के दिल में एक खास जगह रखती है। परंतु क्या हॉकी वाकई भारत का राष्ट्रीय खेल है? इस लेख से मिलने वाली जानकारी से आप हैरान रह जाएंगे।
राष्ट्रीय खेल किसे कहा जाता है?
किसी भी देश का राष्ट्रीय खेल वह खेल होता है, जो किसी देश की विशेष संस्कृति का पर्याय है और जिसे सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता दी जाती है। जैसे कि सूमो पहलवान के बारे में विचार आते ही हमारा दिमाग अपने आप ही इसे जापान से जोड़ देता है। इसी तरह, ब्राज़ील अपनी मार्शल आर्ट जैसे कि जिउ-जित्सु और कैपोइरा के लिए जाना जाता है। उपर्युक्त खेल भी अपने देशों के राष्ट्रीय खेल हैं।
भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी नहीं है
क्या आप जानते हैं कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल नहीं है? वास्तव में, भारत का कोई आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल नहीं है। हॉकी, ऐतिहासिक रूप से इतनी प्रासंगिक है इसलिए सभी ने लंबे समय तक इसे भारत का राष्ट्रीय खेल माना जबकि इसके विपरित सरकार ने इसे किसी भी प्रकार की राष्ट्रिय मान्यता नहीं दी। हॉकी, क्रिकेट और कबड्डी भारत में सबसे लोकप्रिय और सबसे ज़्यादा खेले जाने वाले खेल हैं, इसलिए अक्सर इन्हें राष्ट्रीय खेल समझ लिया जाता है। आश्चर्य की तो यह बात है कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। भारत सरकार सभी खेलों को समान रूप से मान्यता देती है और किसी एक को दूसरे से ज़्यादा बढ़ावा नहीं देती।
क्यों भारत का कोई राष्ट्रीय खेल नहीं है?
एक सोचना के अनुसार पता चला था कि 2020 में महाराष्ट्र के धुले जिले के एक स्कूल शिक्षक मयूरेश अग्रवाल ने सरकार से आरटीआई दायर कर पूछा था कि हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल कब घोषित किया गया। केंद्रीय युवा मंत्रालय का आधिकारिक जवाब इस प्रकार है:
“सरकार ने किसी भी खेल को देश का राष्ट्रीय खेल घोषित नहीं किया है, क्योंकि सरकार का उद्देश्य सभी लोकप्रिय खेल विधाओं को प्रोत्साहित/बढ़ावा देना है।”
भारत का कोई राष्ट्रीय खेल होना चाहिए क्या?
भारत में लगभग 140 करोड़ के लगभग आबादी निवास करती हैं और निसंदेह यह दुनिया का सबसे ज़्यादा सांस्कृतिक विविधता वाला देश है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत की कोई राष्ट्रीय भाषा भी नहीं है। क्योंकि पूरे देश पर एक ही भाषा थोपना एक बड़े विवाद का विषय है, लेकिन खेलों में ऐसा कोई विभाजन नहीं होता। क्योंकि खेल लोगों को एकजुट करने के लिए जाने जाते हैं, जो राष्ट्रीय क्रिकेट और हॉकी टीमों में स्पष्ट प्रदर्शित होता है। देश के सभी कोनों से खिलाड़ी समान उत्साह के साथ भाग लेते हैं। इसलिए, यह मुद्दा उठता है: क्या भारत को एक राष्ट्रीय खेल घोषित करना चाहिए? भारत एकमात्र ऐसा देश नहीं है, जिसके पास आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त खेल नहीं है। चीन का भी कोई राष्ट्रीय खेल नहीं है, हालांकि टेबल टेनिस अनौपचारिक खेल है। लेकिन इन दिनों खेलों की बढ़ती लोकप्रियता और भारत के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास को देखते हुए, भारत में भी एक राष्ट्रीय खेल होना चाहिए।
किस खेल को भारत के राष्ट्रीय खेल का दर्जा मिलना चाहिए?
अगर भारत का कोई राष्ट्रीय खेल होना चाहिए तो हॉकी से बेहतर कोई और विकल्प नहीं है। क्योंकि हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल का दर्जा प्राप्त करने के कई कारण हैं। क्योंकि भारत ने हॉकी में सबसे ज़्यादा ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते हैं और 1928 से 1956 तक लगभग अजय रहा। साल 1936 के बर्लिन ओलंपिक में, भारत ने पूरे टूर्नामेंट में केवल एक गोल खाया और फ़ाइनल में फ़्रांस, यूएसए और जर्मनी सहित प्रतियोगिता पर पूरी तरह से हावी रहा। थोड़े समय की गिरावट के बाद, टीम इंडिया हाल ही में फिर से उभरी है और 2020 ओलंपिक में 1980 के बाद से अपना पहला ओलंपिक फ़ील्ड हॉकी पदक जीता है। दूसरी ओर, भारत में क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल है। लोग महत्वपूर्ण क्रिकेट मैचों के दौरान छुट्टियाँ मनाते हैं। क्रिकेटर्स आजकल अपने असंख्य प्रायोजकों और प्रशंसकों के प्यार के कारण मशहूर हस्तियाँ बन गए हैं।
आधारिक स्तर पर भारत में कोई राष्ट्रीय खेल नहीं है?
भारत सरकार किसी एक खेल को दूसरे खेलों से अलग दर्जा नहीं देना चाहती। इस तर्क के अपने ही फायदे और नुकसान हैं, लेकिन अभी के लिए हमें राष्ट्रीय खेल के बिना ही काम चलाना होगा। हॉकी, क्रिकेट और कबड्डी भारत के राष्ट्रीय खेल के लिए शीर्ष विकल्प हैं, और यदि सरकार भविष्य में किसी खेल को राष्ट्रीय खेल घोषित करने का निर्णय लेती है, तो सम्भावना है कि वह इन तीनों में से कोई एक होगा।