राहुल गांधी कांग्रेस दल के एक मुख्य सांसद हैं, जो वायनाड की लोकसभा सीट छोड़कर रायबरेली की सीट अपने पार रख सकते हैं। सूत्रों की सूचना अनुसार पता चला कि इस विषय पर कांग्रेस वर्किंग कमेटी में चर्चा हुई थी और 17 जून से पहले इस विषय पर निर्णय किया जाएगा। कांग्रेस कार्यसमिति में सभी नेताओं के बीच दोस्ताना खींचतान हुई जिसमें राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली की सीट में से कौन सी सीट छोड़नी चाहिए और कौन सी रखनी चाहिए। सांसद के. सुरेश ने कहा कि राहुल गांधी दूसरी बार वायनाड के सांसद हैं और यहां के लोग भी यही चाहते हैं। हालांकि राहुल गांधी को रायबरेली की सीट लेने के लिए ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश की नेता अराधना मिश्रा ने राहुल गांधी पर जोर दिया की वो रायबरेली की सीट लेने का फ़ैसला लें। उनका कहना है कि रायबरेली की लोकसभा सीट गांधी परिवार की पारंपरिक सीट है और पीढ़ियों से चली आ रही है। साथ ही यह इच्छा भी जताई कि अगर राहुल गांधी रायबरेली की सीट संभालेंगे तो यह कांग्रेस पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश जहां की 80 सीटें हैं वहां राजनीतिक उद्धार का अच्छा मौका साबित हो सकता है।
सोनीया गांधी जी ने चुनाव प्रचार के दौरान एक रैली में राहुल गांधी को कमान सौंपी और जानता से यह भी खा की “मैं आपको अपना बेटा सौंप रही हूं”। जिससे यह पता चलता है कि राहुल गांधी रायबरेली की सीट लेकर वहां पर अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाएंगे। अगले हफ्ते राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के साथ रायबरेली जा सकते हैं।
रायबरेली के लोगों ने एक बार फिर से गांधी परिवार पर अपना भरोसा जताया और इस बार राहुल गांधी ने रायबरेली से 390030 के वोटों के अंतर से जीत हंसिल की है। लेकिन साल 2019 में उन्हें अमेठी से हार का सामना करना पड़ा था।
वायनाड की जानता ने राहुल गांधी को दूसरी बार सांसद की सीट दी है। यहां से राहुल ने 364422 लाखों वोटों से जीत हासिल की है। राहुल ने साल 2019 में भी वायनाड से 4 लाख से भी ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी। वायनाड की जनता हमेशा से कांग्रेस के साथ रही है। यहां की सीट कांग्रेस के लिए सबसे सुरक्षित सीटों में से एक है।