Saturday, November 16, 2024
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जर्मनी में नाज़ीवाद विचारधारा और हिटलर

जर्मनी में नाज़ीवाद अथवा राष्ट्रीय समाजवाद, कार्यकर्ताओं की नाज़ी पार्टी उर्फ नेशनल सोशलिस्ट पार्टी द्वारा प्रचारित एक विचारधारा है। इन समाजवादियों की अलग-अलग राजनीतिक मान्यताएँ हैं। नाज़ीवाद विचारधारा की शुरुआत एडॉल्फ़ हिटलर ने 1920 के दशक में की थी और यह द्वितीय विश्व युद्ध के अंत 1945 तक चला । होलोकॉस्ट ने हिटलर के हाथों को लाखों लोगों के खून से रंग दिया था। वह बहुत क्रूर था और उसने बहुत से लोगों को बहुत तकलीफ़ पहुँचाई। आइए इस लेख में नाज़ीवाद और एडॉल्फ़ हिटलर के उदय के बारे में जानें।

एडॉल्फ हिटलर

एडोल्फ हिटलर का जन्म ऑस्ट्रिया के एक छोटे से शहर, ब्रौनौ एम इन में 20 अप्रैल 1889 को हुआ था। यह स्थान जर्मन-ऑस्ट्रियाई सीमा पर ऊपरी ऑस्ट्रिया में स्थित है। वह एक कलाकार बनने का सपना देखता था, जो कि उनके पिता को पसंद नहीं था इसलिए उसके पिता ने उसे प्रोत्साहित नहीं किया। हिटलर ने अपने पिता की मृत्यु के बाद वियना एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स में आवेदन किया था, लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया। कुछ ही समय बाद उसकी माँ की मृत्यु हो गई और वह वियना चला गया। उसने राजनीतिक विचारों को विकसित कर जर्मनी और ऑस्ट्रिया को एकजुट करने के सपने पर काम करना शुरू कर दिया। बाद में, वह वर्ष 1913 में जर्मनी चला गया।

वह जर्मनी के प्रति बहुत वफ़ादार था। साल 1914 में प्रथम विश्व युद्ध हुआ था, जिसमे जर्मनी को सैनिकों की बहुत ज़रूरत थी। ऐसी स्थिती देख हिटलर तुरंत सेना में भर्ती हो गए। हिटलर फ्रांस और जर्मनी दोनों देशों में सेवा की और अपनी बहादुरी के लिए बहुत प्रसिद्ध भी हुआ। वह वर्ष 1916 में सोम्मे में हुए एक युद्ध में घायल हो गया था। उसके बाद दुबारा वह ब्रिटिश गैस हमले में घायल हो गया। उसके पुरी तरह से स्वस्थ होते- होते, जर्मनी ने आत्मसमर्पण कर दिया। जर्मनी के आत्मसमर्पण की बात से हिटलर और अन्य लोगों को बहुत अघात पहुंचा क्योंकि उन्होंने इसे यहूदियों और समाजवादियों द्वारा अपराजित जर्मन सेना के साथ विश्वासघात मानते थे। इसलिए हिटलर ने राजनीति में जाने का फैसला किया।

एडोल्फ हिटलर का उदय

जर्मनी को हार के कारण वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करना पड़ा था। वर्साय की संधि में जो वर्णित शर्तें थी वह अस्वीकार्य थीं। हालाँकि, जर्मनी को इस पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था। जर्मनी ने अपने बहुत से क्षेत्र खो दिए थे और उसे बहुत अधिक क्षतिपूर्ति देनी पड़ी थी। इन सभी कारणों से हिटलर बहुत नाराज़ था। न चाहते हुए भी हिटलर अभी भी सेना में काम कर रहा था। उसे जर्मन वर्कर्स पार्टी की रिपोर्ट करने के लिए भेजा गया था, जिसे बाद में नाज़ी पार्टी का नाम दिया गया। इस दौरान उसे यहाँ राष्ट्रवादी और यहूदी विरोधी विचारों वाले लोग मिले, वह उनसे सहमत हो गया और उनकी पार्टी में शामिल हो गया।

चूँकि हिटलर के पास सार्वजनिक भाषण देने का अच्छा कौशल था, इसलिए उसे अपनी नई पार्टी के रैंक में ऊपर उठने में मदद मिली। हिटलर अपने भाषणों के कारण जर्मन लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध था। पार्टी के संस्थापक एंटोन ड्रेक्सलर और पार्टी के कार्यकारी अधिकारी हिटलर से ईर्ष्या करते थे और दूसरी पार्टी के साथ गठबंधन करके उसकी स्थिति को कमज़ोर करने की कोशिश करते थे। हिटलर ने इस्तीफा दे दिया और केवल तभी फिर से शामिल होने के लिए सहमत हुआ जब उसे पूरा नियंत्रण दिया गया।8 नवंबर को करीब दो हजार नाजियों ने म्यूनिख के केंद्र की ओर मार्च किया, जहां उन्होंने पुलिस का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप 16 नाजियों और चार पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई। ऐसा करने के लिए हिटलर को गिरफ्तार कर लिया गया। उसे पांच साल की सजा सुनाई गई। हालांकि, हिटलर ने केवल नौ महीने ही जेल में बिताए। जेल में, उसने अपनी आत्मकथात्मक पुस्तक मीन कैम्फ लिखी जिसका अर्थ है मेरी लड़ाइयाँ। अपनी पुस्तक में, उसने अपने राजनीतिक विचार व्यक्त किए। उसने यहूदी समुदाय के प्रति अपनी नफरत को भी दर्शाया था। इसके प्रकाशन के बाद, हिटलर के विचारों को और अधिक प्रचार मिला। जिसके बाद हिटलर सबसे लोकप्रिय राजनीतिज्ञ बन गया और नाज़ी पार्टी को 37% वोटों के साथ जर्मनी में सबसे बड़ी पार्टी बनने दिया। हिटलर की लोकप्रियता देख कर जर्मन राष्ट्रपति वॉन हिंडेनबर्ग ने हिटलर को चांसलर बनाया दिया और मार्च तक हिटलर के पास तानाशाही शक्तियाँ भी आ गई थीं।

नाज़ीवाद या राष्ट्रीय समाजवाद

नाजीवाद विचारधारा नाजी पार्टी द्वारा प्रचारित विचारधारा है। नाज़ियों का मानना था कि आर्यन नस्ल श्रेष्ठ नस्ल है और सभी यहूदी लोगों को मर जाना चाहिए। नाज़ियों ने लगभग 25000 किताबें जला दीं जिनमें आइंस्टीन और सिगमंड फ्रायड जैसे यहूदी लेखकों की किताबें शामिल थीं, उन लेखकों की किताबें भी जलाई गईं जो यहूदी नहीं थे। उन्होंने सारी किताबें इसलिए जला दीं क्योंकि उन्हें लगा कि उन किताबों को जर्मन आबादी को नहीं पढ़ना चाहिए। नाज़ीवाद विचारधारा को फैलाने में स्कूल ने अहम भूमिका निभाई क्योंकि स्कूल में बच्चों को हिटलर और उसकी विचारधाराओं के बारे में पढ़ाया जाता था। इतना ही नही उसका जन्मदिन और सत्ता संभालने की सालगिरह तक मनाई जाती थी।

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