चींटी का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में मेहनती चींटीयों के समूह की तस्वीर हमारे आंखों के सामने बन जाती है। हम सभी चिटियों को एक साधारण सा कीडा समझते हैं, लेकिन केवल चीटियां ही ऐसी प्राणी है, जो इंसानों के बाद सबसे समझदार प्राणी मानी जाती है। चीटियां अक्सर हमें समूह में ही दिखाई देती हैं। वह हमेशा समूह में ही काम कराना पसंद करती हैं। ऐसे में जाहिर सी बात है कि मेहनत करने के दौरान उन्हें भी चोट लगती होगी, लेकिन चोट लगने के बाद अन्य चीटियां क्या करती हैं। इसी विषय पर आज आपको इस लेख में चौकाने वाली बात बताने वाले हैं।
चींटियों में घावों की पहचान और उनके इलाज की क्षमता जन्म से ही होती है। नेचर की एक रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी की वुर्जबर्ग यूनिवर्सिटी में इकोलॉजिस्ट एरिक फ्रैंक की अगुवाई में हुए एक शोध पर करंट बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिकों ने फ्लोरिडा (अमरीका) में चींटियों के अध्ययन के दौरान पाया कि ‘कैम्पोनॉट्स फ्लोरिडंस’ प्रजाति की चीटियां एक ऐसी प्रजाति है, जो अपनी घायल साथियों के घाव साफ करती हैं और खराब हो चुके अंगों को काट देती हैं। यह प्रक्रिया ठीक वैसी ही है, जैसे डॉक्टर किसी मरीज के खराब अंग को सर्जरी से निकाल देता है।
शोध के मुख्य लेखक एरिक फ्रैंक का कहना है कि पिछले साल एक शोध में बताया गया था कि अफ्रीकी चींटियों की एक प्रजाति ‘मेगापोनेरा एनालिस’ अपनी ग्रंथियों में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल पदार्थ से साथी चींटियों के घाव ठीक करती हैं। फ्लोरिडा की चींटियों में ऐसी ग्रंथियां नहीं होतीं। इसलिए वैज्ञानिक जानना चाहते थे कि ये चींटियां अपनी साथियों में घावों से कैसे निपटती हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक इंसान के बाद किसी अन्य जीव में अंग काटकर इलाज करने का यह पहला मामला है। चींटियां खराब अंग को इतने व्यवस्थित ढंग से काटती हैं कि शरीर के किसी दूसरे हिस्से को क्षति नहीं पहुंचती। शोध में पाया गया कि अंग काटने से पहले जिन चींटियों के बचने की उम्मीद 40 फीसदी से कम थी, सर्जरी के बाद यह 90 से 95 फीसदी तक बढ़ गई।