आज 2 जून है, जो कि तेलंगाना राज्य के लिए एक बहुत बड़े उत्सव का दिवस है। आज से दस साल पहले तेलंगाना राज्य पूरी तरह अस्तित्व में आया था। इसलिए आज की तारीख पर तेलंगाना फॉर्मेशन डे सेलिब्रेट किया जाता है। अब तो तेलंगाना राज्य का अपना गाना भी आ चुका है ‘जय जय हे तेलंगाना’। आज इस लेख में जानेंगे कि आखिर कब से चल रहा था इस राज्य को अस्तित्व में लाने का संघर्ष और कैसा रहा इस राज्य का इतिहास।
तेलंगाना
तेलंगाना राज्य 1,12,077 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। तेलंगाना की वर्तमान जनसंख्या 2011 जनगणना के अनुसार लगभग 3.50 करोड़ है।तेलंगाना राज्य उत्तर में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़, पश्चिम में कर्नाटक, दक्षिण और पूर्व में आंध्र प्रदेश से घिरा है। तेलंगाना के कुछ बड़े शहरों के नाम हैं- हैदराबाद, वारंगल, निजामाबाद, नालगोंडा, खामम, करीमनगर। तेलंगाना राज्य का अपना गाना भी बनाया गया है, जिसका शीर्षक है- ‘जय जय हे तेलंगाना’ (Jaya Jaya He Telangana)।
तेलंगाना फॉर्मेशन डे
आज से 10 वर्ष पूर्व जब तेलंगाना राज्य बना था तब उसे भारत के 29वे राज्य का दर्जा मिला था। तेलंगाना राज्य को उसका अस्तित्व दिलाने के लिए इस प्रदेश और यहां के नागरिकों ने पूरे 49 वर्षों तक संघर्ष किया था, तब जाकर उन्हें यह सफलता प्राप्त हुई और तेलंगाना एक राज्य बना। क्या आप जानते हैं कि आखिर यह राज्य अलग अस्तित्व की मांग क्यों कर रहा था और यह संघर्ष कब शुरू हुआ था? कब इस संघर्ष ने अपना विशाल रूप धारण किया? आइए जानते हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, तेलंगाना राज्य जब अस्तित्व में नहीं था तो यह आंध्रप्रदेश राज्य का हिस्सा था। इस राज्य का हिस्सा बनने के कुछ वर्षों के बाद से ही तेलंगाना ने अपने अलग राज्य की मांग शुरू कर दी थी। ऐसा इसलिए था क्योंकि तेलंगाना और आंध्रप्रदेश क्षेत्र के मध्य आर्थिक और सांस्कृतिक असमानताओं बहुत थी। तेलंगाना के लोगों को लगा रहा था कि सरकार उनके क्षेत्र के विकास को अनदेखा कर रही है और उनकी सांस्कृतिक अपनी पहचान खो रही है।
तेलंगाना अलग राज्य कैसे बना?
सन् 1948 में हैदराबाद एक अलग राज्य बनाया गया था, जिसका हिस्सा आज का तेलंगाना भी था। उसके बाद साल 1956 में 1 नवंबर के दिन तेलंगाना को मद्रास राज्य से अलग कर आंध्रप्रदेश राज्य का हिस्सा बना दिया गया था। ताकि तेलगु बोलने वाले लोगों का एक राज्य बनाया जा सके। साल 1969 में तेलंगाना के लोगों ने अलग राज्य की मांग लेकर एक आंदोलन शुरू कर दिया। साल 1972 में तेलंगाना मूवमेंट के 3 साल में ही जय आंध्र मूवमेंट भी शुरू हो गया। जिसमें लोगों की मांग थी- समुद्री क्षेत्र वाले आंध्र प्रदेश को अलग राज्य बना दिया जाए। साल1997 में बीजेपी ने तेलंगाना के स्टेट की मांग को समर्थन दिया। साल 1998 के चुनवा के लिए भाजपा ने वादा किया था- ‘एक वोट दो राज्य’।
जिसके बाद साल 2001 में उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनता देख तेलंगाना मूवमेंट को वापस शुरू करने के लिए के चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (Telangana Rashtra Samiti- TRS) का गठन किया। साल 2004 में टीआरएस ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़े और 5 लोक सभा सीटें और 26 विधानसभा सीटें जीतीं । साल 2008 में टीडीपी ने तेलंगाना की मांग का समर्थन किया। साल 2009 में टीआरएस TDP के साथ गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ी, लेकिन 2 लोक सभा और 10 विधान सभा सीटों पर ही सिमट कर रह गई। 2 सितंबर साल 2009 में मुख्य मंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई। अक्टूबर 2009 में चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू कर किया। 9 दिसंबर 2009 में केंद्र ने तेलंगाना को अलग राज्य बनाने का फैसला लिया और Telangana Formation की प्रक्रिया शुरू हुई। 3 फरवरी 2010 को तेलंगाना के मुद्दे की समीक्षा करने के लिए केंद्र सरकार ने 5 सदस्यों की श्रीकृष्णा कमेटी गठित की। दिसंबर 2010 में श्रीकृष्णा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी और 6 विकल्प सुझाए। 30 जुलाई 2013 को यूपीए को ऑर्डिनेशन पैनल और कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने तेलंगाना को अलग राज्य बनाने का फैसला किया।फरवरी 2014 में संसद में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम पारित किया गया। जिसके बाद आखिरकार 2 जून 2014 को तेलंगाना का एक नए राज्य के रूप में गठन हुआ। नए राज्य में 10 जिले शामिल थे, जिसकी राजधानी हैदराबाद बनाई गई।
तेलंगाना का अर्थ
ऐसा माना जाता है कि तेलंगाना नाम ‘तेलुगु अंगना’ शब्द से बना है। जिसका मतलब है- वह जगह जहां तेलुगु बोलने वाले लोग निवास करते हैं। साल 1724 से 1948 के बीच निजामों द्वारा ‘तेलंगाना’ शब्द का इस्तेमाल उनकी रियासत के तेलुगु लोगों को मराठी बोलने वालों से अलग करने के लिए किया जाता था।