आप और हम सभी एक समाज में रहते हैं और हम जैसे ही बहुत सारे लोग मिलकर एक समाज का निर्माण करते हैं। हम सभी जिस समाज में रहते हैं और सबकी अपनी-अपनी विचार धाराएं होती हैं। सभी लोग अपनी आजीविका चलाने के लिए अपनी सुविधा अनुसार अपना रोजगार चुनते हैं। हम जिस समाज में रहते हैं, उसे समझ म विभिन्न प्रकार के अपराधी भी होते हैं। हालांकि कोई अपराधी जन्म से ही अपराधी नहीं होता है, बल्कि उसे समाज की स्थिति और परिस्थिति ही उसे अपराधी बना देती है। कई बार तो छोटे-छोटे विषय से भी लोगों के बीच विवाद उत्पन्न हो जाता है। समाज को आप अपराध मुक्त करने और लोगों के विवादों को दूर करने के लिए हम न्यायालय की सहायता लेते हैं।
सामान्य स्तर पर हम देखें तो जब दो लोगों के बीच विवाद होता है, अक्सर हम डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं। इसके अलावा जब दो राज्यों के बीच विवाद होता है तो सुप्रीम उनके विवादों को सुनकर विवाद का निवारण करता है। परंतु जब दो या दो से अधिक देशों के बीच विवाद होता है तो उसकी सुनवाई कहां होती है? सामान्य सी बात है जब दो देश या उनके नागरिकों के बीच किसी बीच किसी प्रकार का विवाद होता है और कोई भी अधिनस्थ अदालत उसका फैसला नहीं कर सकती है तो वह मामला अंतराष्ट्रीय अदालत में दस्तक देते है। अब ऐसी स्थिति में हम सभी के लिए यह जानना आवश्यक है, किस प्रकार के मुद्दे अंतरराष्ट्रीय अदालत में दायर किए जा सकते हैं अथवा यह कैसे कार्य करता है? आज इस लेख में हम इसी विषय पर आपको जानकारी देंगे।
विश्वस्तर का न्यायालय अर्थात् अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को ICJ के नाम से भी जाना जाता है, जो संयुक्त राष्ट्र (UN) का प्रमुख न्यायिक अंग है। इस न्यायालय की स्थापना साल 1945 के जून में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर द्वारा की गई थी और जहां औपचारिक रुप से कार्य अप्रैल सन् 1946से शुरू किया था। न्यायालय का मुख्यालय द हेग (नीदरलैंड) में स्थित पीस पैलेस में है। संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से यह एकमात्र ऐसा अंग है जो न्यूयॉर्क (संयुक्त राज्य अमेरिका) में स्थित नहीं है। इसकी आधिकारिक भाषाएँ अंग्रेजी और फ्रेंच हैं। इस न्यायालय की भूमिका, अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार, राज्यों द्वारा प्रस्तुत कानूनी विवादों का निपटारा करना तथा अधिकृत संयुक्त राष्ट्र अंगों और विशेष एजेंसियों द्वारा संदर्भित कानूनी प्रश्नों पर परामर्शी सुझाव देना है। इस न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा नौ वर्ष की अवधि के लिए चुना जाता है। इसे एक रजिस्ट्री द्वारा सहायता प्रदान की जाती है, जो इसका प्रशासनिक अंग है।
ICJ किस तरह काम करता है?
देशों के बीच विवाद निपटाने के एक तरीक़े के रूप में सन् 1945 में नीदरलैंड के हेग शहर में स्थित, पीस पैलेस में ICJ की स्थापना की गई थी। अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय, संयुक्त राष्ट्र के अन्य अधिकृत संरचनाओं द्वारा निर्दिष्ट क़ानूनी प्रश्नों पर भी अपनी राय देता है। यह व्यापक रूप से ‘विश्व न्यायालय’ के रूप में जाना जाने वाला, ICJ, संयुक्त राष्ट्र के छह “प्रमुख अंगों” में से एक है, और उसका ओहदा महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC), ट्रस्टीशिप परिषद और सचिवालय के सामान ही है। संयुक्त राष्ट्र का यह एकमात्र ऐसा अंग है, जो न्यूयॉर्क मुख्यालय में स्थित नहीं है। ICJ, योरोपीय संघ के न्यायालय के विपरीत राष्ट्रों के लिए किसी तरह का सर्वोच्च न्यायालय नहीं है: यह केवल तभी किसी विवाद की सुनवाई कर सकता है जब एक या अधिक देशों द्वारा ऐसा करने का अनुरोध किया गया हो।
अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं, जिनका कार्यकल नौ वर्ष होता है, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा चुने जाते हैं। एक तिहाई सीटों के लिए हर तीन साल में चुनाव होते हैं और सेवानिवृत्त न्यायाधीश को दोबारा चुना जा सकता है। इस न्यायालय के सदस्य किसी भी प्रकार से अपनी सरकारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, बल्कि स्वतंत्र मजिस्ट्रेट होते हैं, और न्यायालय में किसी भी राष्ट्रीयता का केवल एक ही न्यायाधीश होता है। मुद्दों की शुरुआत, पक्षों द्वारा दलीलें रखने व आदान-प्रदान करने के साथ होती है, जिसमें तथ्यों और क़ानून के अनुसार मसले का विस्तृत विवरण दिया जाता है। इसके बाद, एक मौखिक चरण होता है, जिसमें सार्वजनिक सुनवाई शामिल होती है, तथा एजेंट व वकील अदालत को सम्बोधित करते हैं। मामले से सम्बन्धित देश, पैरवी के लिए एजेंट नियुक्त करते हैं, जो एक ऐसा व्यक्ति होता है, जिसके पास राष्ट्रीय अदालत में वकालत के अधिकार और दायित्व होते हैं। कभी-कभी, कोई प्रमुख राजनेता भी अपने देश की तरफ़ से पैरवी करते हैं, जैसेकि 2020 गाम्बिया/म्याँमार मामले में देखने को मिला था। इस चरण के बाद, न्यायाधीश कैमरे के सामने (निजी तौर पर, बन्द दरवाज़ों के पीछे) विचार-विमर्श करते हैं, और फिर न्यायालय अपना फ़ैसला सुनाता है। इसमें कुछ हफ्तों से लेकर कई वर्षों तक का समय लग सकता है।
क्यों महत्वपूर्ण है अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय ?
ICJ एकमात्र अन्तरराष्ट्रीय अदालत है, जिसे 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों के बीच विवादों का निपटारा करने अधिकार प्राप्त है। अर्थात् यह कि वैश्विक शान्ति और सुरक्षा में इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है, जिससे देशों के लिए संघर्ष का रास्ता अपनाए बिना ही मुद्दों का हल निकल सकता है।
न्यायालय में किस प्रकार के मामले पेश किए जाते हैं?
अंतराष्ट्रीय न्यायालय दो प्रकार के मामलों पर फ़ैसला दे सकता है: देशों के बीच क़ानूनी विवाद को लेकर होने वाले “विवादास्पद मामले”; और संयुक्त राष्ट्र के अंगों एवं कुछ विशेष एजेंसियों द्वारा भेजे गए क़ानूनी प्रश्नों पर राय-मश्वरे के लिए, “सलाहकार कार्यवाही।” 29 दिसम्बर 2023 को दक्षिण अफ़्रीका द्वारा इजराइल के ख़िलाफ़ उठाया गया मामला, पहली बार आईसीजे में इसराइल के ख़िलाफ़ पेश किए गए विवादास्पद मामले का उदाहरण है (2004 के एक विमर्श में पाया गया कि इसराइल द्वारा कब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र पूर्वी येरूशेलम व उसके आसपास बनाई गई दीवार तथा उससे सम्बन्धित शासन व्यवस्था, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का हनन है)।दक्षिण अफ़्रीका का तर्क था कि “इसराइल द्वारा की गई कार्रवाई जनसंहारक प्रवृत्ति के हैं, क्योंकि वे ग़ाज़ा में फ़लस्तीनी राष्ट्रीय, नस्लीय और जातीय समूह के रूप में फ़लस्तीनियों को ख़त्म करने की व्यापक मंशा का हिस्सा हैं। “दक्षिण अफ़्रीका, 1948 के संयुक्त राष्ट्र जनसंहार कन्वेंशन पर न्यायालय के अधिकार क्षेत्र की जानकारी चाहता है, जिस पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। हालाँकि इजराइल ने इन आरोपों का खंडन किया है।
हाल ही का एक और मामला, जिसने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया – वो था जनवरी 2020 में म्याँमार के ख़िलाफ़ लिया गया एक निर्णय, जिसमें देश को अपनी अल्पसंख्यक रोहिंज्या आबादी की रक्षा करने का आदेश दिया गया था और जनसंहार के आरोपों से सम्बन्धित सबूतों को नष्ट करने का दोषी पाया गया था. यह मामला, गाम्बिया द्वारा उठाया गया था, और इसमें म्याँमार की निवर्तमान नेता, आँग सान सू ची भी अपने देश की पैरवी हेतु हेग में उपस्थित हुई थीं.वहीं “सलाहकार कार्यवाही” के तहत, 20 जनवरी 2023 को, महासभा ने “पूर्वी येरूशेलम सहित अधिकृत फ़लस्तीनी क्षेत्र में फ़लस्तीनी व्यक्तियों के मानवाधिकारों को प्रभावित करने वाली इसराइली कार्रवाई” पर न्यायालय से एक सलाहकारी विमर्श देने का अनुरोध किया.मार्च 2023 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अदालत द्वारा जलवायु परिवर्तन पर देशों के दायित्वों पर एक सलाहकारी राय देने के लिए एक प्रस्ताव अपनाया. इसके बाद हुई बहस में अधिकांश वक्ताओं ने इस क़दम को, जलवायु न्याय के लिए उनके दशकों लम्बे संघर्ष में एक मील का पत्थर बताया. दोनों ही परामर्शी कार्यवाही अभी जारी हैं.
न्यायालय में मामला कौन लेकर आ सकते हैं?जब अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का सामान्य हित दाँव पर हो तो कोई भी सदस्य देश, किसी अन्य सदस्य देश के ख़िलाफ़ मामला पेश कर सकता है, फिर चाहे वो सीधे तौर पर संघर्ष में शामिल हों या नहीं. उदाहरण के लिए, गाम्बिया बनाम म्याँमार मामले में, म्याँमार के ख़िलाफ़ लगाए गए नरसंहार के आरोपों का गाम्बिया से सीधे तौर पर कोई सम्बन्ध नहीं था, लेकिन फिर भी उसने इस्लामिक सहयोग संगठन की ओर से कार्रवाई की।
न्यायालय के फ़ैसले के परिणाम
ICJ के फ़ैसले अन्तिम होते हैं और इनमें आगे अपील की कोई सम्भावना नहीं होती। सम्बन्धित देशों का कर्तव्य होता है कि वे न्यायालय के निर्णयों को अपने राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र में लागू करें। ज़्यादातर विषयों में, सभी देश अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अपने दायित्वों का सम्मान व अनुपालन करते हैं। यदि कोई देश किसी फ़ैसले के तहत अपने ऊपर निहित दायित्वों को पूरा करने में विफल रहता है, तो सुरक्षा परिषद की ओर रुख़ करना एकमात्र रास्ता रह जाता है, जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत उपयुक्त प्रस्ताव पर मतदान कर सकती है। ऐसा ही कुछ 1984 में संयुक्त राज्य अमेरिका के ख़िलाफ़ निकारागुआ द्वारा लाए गए एक मामले में हुआ था, जब कॉन्ट्रा विद्रोहियों को समर्थन देने के लिए अमेरिका से दंड के रूप में मुआवज़ा माँगा गया था। ICJ ने निकारागुआ के पक्ष में फ़ैसला सुनाया, लेकिन अमेरिका ने निष्कर्ष को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इसके बाद निकारागुआ इस मामले को सुरक्षा परिषद में ले गया, जहाँ एक प्रासंगिक प्रस्ताव अमेरिका द्वारा वीटो कर दिया गया।
ICJ किस प्रकार ICC से अलग है?
अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) और अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के बीच अक्सर मतभेद हो जाते हैं। बहुत ही सरल तरीक़े से दोनों के बीच का अन्तर स्पष्ट किया जा सकता है। जहाँ ICJ के मसले देशों से सम्बन्धित होते हैं, वहीं ICC एक आपराधिक अदालत है, जो युद्ध अपराधों या मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए व्यक्तियों के ख़िलाफ़ मामलों की सुनवाई करती है। इसके अलावा, जहाँ ICJ संयुक्त राष्ट्र का एक हिस्सा है, वहीं ICC, महासभा द्वारा समर्थित होने के बावजूद, क़ानूनी तौर पर संयुक्त राष्ट्र से स्वतंत्र होता है। हालाँकि संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देश ICC के अन्तर्गत नहीं आते हैं, लेकिन फिर भी इसमें, आईसीसी के क्षेत्र या किसी सदस्य देश के नागरिक द्वारा या उसके अधिकार क्षेत्र को स्वीकार करने वाले देश में किए गए कथित अपराधों से सम्बन्धित जाँच शुरू की जा सकती है और मामले खोले जा सकते हैं। ICC में, बलात्कार को युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से लेकर, बाल सैनिकों को नियुक्त करने जैसे कई प्रकार के उल्लंघनों पर मामलों की सुनवाई करके, फ़ैसले सुनाए गए हैं।